मुख्य व्यापारिक देश कनाडा का धरातल राकी पर्वतमाला के पूर्व में चौरस है। उत्तर में टुंड्रा है, पूर्व में टुंड्रा की सीमा ५८° उत्तर अक्षांश रेखा तक है । टुंड्रा के दक्षिण में वन प्रदेश हैं। पश्चिम वन प्रदेश के दक्षिण में उपजाऊ मैदान है जो संयुक्त राज्य अमेरिका की सीमा तक फैले हुए हैं। अब वन प्रदेशों को भी साफ किया गया है और उनमें खेती की जा रही है। कनाडा में वर्षा गर्मियों में होती है और जाड़े में बर्फ गिरती है। पूर्व में वर्फ अधिक गिरती है और पश्चिम में बहुत कम । पूर्व में वर्षा अधिक होती है और पश्चिम में कम होती हैं। पश्चिम में बिना सिंचाई के खेती नहीं हो सकती । कनाड का जलवायु गेहूँ की पैदावार के लिए बहुत अनुकूल नहीं है क्योंकि फसल के पकते समय कभी कभी पाला पड़ जाता है जिससे फसल नष्ट हो जाती है किन्तु अब ऐसे बीज उत्पन्न किए जा रहे हैं जो शीघ्र पक जावे। कानाडा के मुख्य धन्धे चार हैं :-(१) खेती-विशेषकर गेहूँ की खेती (२) वनों से लकड़ो तथा पदार्थ प्राप्त करना, ( ३ ) पशुपालन तथा खनिज पदार्थों को निकालना । खेती की दृष्टि से प्रेरी ( Prairie ) प्रदेश के प्रान्त तथा पूर्व के प्रान्त महत्त्वपूर्ण हैं । मैनाटोबा, ( Munitoba ) सैस- कचुआन ( Suskitche- wan ) और अल्वर्टा ( Alberta ) में गेहूँ बहुत अधिक उत्पन्न किया जाता है । पूर्वीय प्रान्तों में खेती के साथ साथ दूध मक्खन का धन्धा तथा पशु पालन भी होता है । गेह को उत्पन्न करने की दृष्टि से कनाडा संसार के प्रमुख राष्ट्रों में से है । क्रमश: कनाडा में गेहूँ की उत्पत्ति को बढ़ाया जा रहा है। कनाडा में गर्मियों के दिन कम होते हैं इस कारण जल्दी पकने वाले बीज उत्पन्न किये जा रहे हैं। पश्चिम में वर्षा कम होती है। वहां सिंचाई के साधन उपलब्ध किए जा रहे हैं। जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं हैं वहाँ सूखी खेती ( Dry farming ) की जा रही है। जिन प्रदेशों में खेती नहीं हो सकती वहाँ दूध तथा मक्खन का धन्धा, भेड़ पालने का धन्धा तथा फलों को उत्पन्न करने का धन्धा होता है। कनाडा के वनों में अत्यन्त बहुमूल्य लकड़ी तथा अनन्त राशि वन सम्पत्ति भरी पड़ी है। यहाँ नदियों के द्वारा वनों की लकड़ा को औद्योगिक केन्द्रों तक लाने की सुविधा है। अतएव यह धन्धा बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। (वनों के- परिच्छेद में देखो) कनाडा खनिज पदार्थों के लिए धनी है। कोयला यहाँ सब प्रान्तों में
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