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आर्थिक भूगोल

४६० आर्थिक भूगोल होती। बिना वैज्ञानिक ढंग से गहरी खेती ( Intensive cultivation) किये पैदावार बढ़ाई नहीं जा सकती और यही कारण है कि भारतीय किसान इतना निर्धन हैं । भारतवर्ष की भूमि बहुत उपजाऊ है और जलवायु भी खेती के लिए अनुकूल है फिर भी जो यहाँ खेती की दशा अच्छी नहीं है उसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं। (१) भारतवर्ष में जनसंख्या की बढ़वार के कारण अधिकाधिक जन• संख्या खेती बारी पर निर्भर होती गई क्योंकि यहाँ उद्योग-धन्धों की उन्नति नहीं हुई । इसका परिणाम यह हुआ कि प्रत्येक किसान के पास भूमि बँटते बँटते बहुत कम रह गई । और वह थोड़ी सी भूमि भी एक चक में न होकर छोटे छोटे टुकड़ों में इधर उधर बिखरी होती है। यदि किसी किसान के पास कुल बीस वीघा जमीन है तो पांच बीघा एक जगह, दो बीघा. दूसरी जगह, १० बीघा तीसरी जगह और शेष चौथी जगह होती है। खेती के विखरे होने के कारण किसान का बहुत सा समय नष्ट होता. है, वह कुा बनाकर सिंचाई नहीं कर सकता, फसल की रखवाली नहीं हो पाती। संक्षेप में खेती अच्छी तरह से नहीं हो सकती और खर्चा अधिक होता है। (२) भूमि और मिट्टी के परिच्छेद में लिखा जा चुका है कि भारतवर्ष को मिट्टी में नत्रजन ( Nitrogen ) की कमी है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने तथा उसको अधिक उपजाऊ बनाने के लिए खाद की आवश्यकता होती है। भारतीय किसान अपने खेतों को बहुत कम खाद देता है। भारतीय किसान के पास सबसे सस्ती और सबसे अच्छी . खाद । गोबर है किन्तु वह उसके कंडे बनाकर जला डालता है और बहुत कम खाद बनाता है । इस कारण खेतों को खाद बहुत कम मिलता है। (३) अधिकतर किसान बीज सवाये या ढ्योढ़े पर महाजनों से उधार लेता है । यह बीज बहुत घटिया होता है । इस कारण फसल अच्छी नहीं होती। कुछ वर्षों से सरकारी कृषि विभाग ने अच्छे बीज उत्पन्न करके उनका चीज गोदामों के द्वारा किसानों को उधार देने का प्रबंध किया है। (४) भारतवर्ष में खेतों का काम बैलों से लिया जाता है। यद्यपि भारतवर्ष में संसार के प्रत्येक देश से अधिक गाय और बैल ( इक्कीस करोड़) हैं किन्तु यहाँ के वैल बहुत कमज़ोर और, छोटे होते हैं। इस कारण वे अच्छी तरह से खेती का काम नहीं कर सकते । पशुओं की नस्ल बिगड़

- जाने का कारण यह है कि भारतवर्ष में चारे को बहुत कमी है। पशुओं को

भर पेट चारा नहीं मिलता और यहाँ अच्छे सौड़ भी नहीं है। इस कारण 'भारतीय पशुओं को नस्ल खराब हो गई । वे बहुत कमजोर होते हैं। -