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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५६०

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भारत का व्यापार

भारत का व्यापार .. भारतवर्ष का-समुद्र तट अधिक टूटा फूटा नहीं है। इस कारण यहाँ. प्राकृतिक अच्छे बन्दरगाह कम ही हैं। पश्चिमी तट भारतवर्ष के. पर कैम्बे के उत्तर में नदियों की लाई हुई. रेती से बन्दरगाह खाड़ियां पटती रहती हैं। इस कारण यहाँ कोई अच्छे बन्दरगाह नहीं हैं। केवल करांची का एक बन्दरगाह है जो कि सिंध के डेल्टा पर है। पश्चिम तट के बन्दरगाहों के लिये एक कठिनाई.यह है कि ज्वार भाटा का वेग बहुत होता है । बम्बई एक द्वीप होने के कारण जहाजों के लिए अत्यन्त सुविधाजनक है। पूर्व में कलकत्ते का बन्दरगाह महत्वपूर्ण है किन्तु वह नदी के मुहाने पर स्थित है । इस कारण जहाजों को घंटों तक ज्वारभाटे की प्रतीक्षा में ठहरे रहना पड़ता है। जब पानी उठता है तब वे बन्दरगाह में आते हैं भारतवर्ष के निम्नलिखित बन्दरगाह हैं- सेटी बम्बई द्वी रेलिफेन्ाही बिम्बई मामाचार सिलामा सागर - करांची, बेदी, श्रोखा, पोरबन्दर, भावनगर, सूरत, बम्बई, मंगलोर, तेलींचेरी, कालीकट, कोचीन, अलैपे, कीलन, तूती कोरन, धनुषः कोडी; 'नेगांपाटम, कारीकल, कुड्डालोर, 'मदरास; मसंलीगट्टम, कोकोनाडा, विज़गापट्टम, बिमली पट्टम, गोपालपूर, बालासोर, चंदवाली, कटक, पुरी, कलकत्ता, बम्बई भारतवर्ष का सबसे महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। श्राज से २५ वर्ष पूर्व कलकत्ते का व्यापार बम्बई से अधिक था किन्तु बम्बई प्रथम योरोपीय महायुद्ध के - उपरान्त बम्बई का व्यापार कलकत्ते से बढ़-गया। १९३८ में बम्बई के बन्दरगाह चिटागाँव।.