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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५६३

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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल • . यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि. कलकत्ते के बन्दरगाह में जहांज ज्वार भाटे के साथ ही आ सकते हैं। पानी के बढ़ने की प्रतीक्षा में जहांजों को घंटों खड़ा रहना पड़ता है। जहाज ... बन्दरगाह में निश्चितं घंटों में ही पाते और निश्चिंत घंटों में ही बंदरगाह को खाली कर देते हैं। हुगली में रेत का जमाव बहुत होता है। कलकत्ता Hinterland Twngore To Rangoor To Colombo इन रेत की बाढ़ों ( Sand Bars ) के कारण जहाजों को कठिनाई होती है। जब ज्वार भाटे के कारण पानी बढ़ता है तभी बड़े जहाज बन्दरगाह में आ सकते हैं और ज्वार भाटे के उतरने के साथ ही बन्दरगाह से निकलते हैं। कलकत्ता सिंध गंगा की घाटी का बन्दरगाह है जो कि भारतवर्ष का सबसे धना श्राबाद भाग है । कलकत्ते से सम्बंधित रेलवे लाइनों, सड़कों और नदियों का जाल सा बिछा है। इन मागों से गंगा की उपजाऊ घाटी की पैदावार कलकत्त को श्राती है। विदेशों से कलकत्ते पर जो माल आता है वह इस पने व्यापार क्षेत्र: में इन रेलों द्वारा आसानी से पहुंचा दिया जाता है । कलकत्ता स्वयं एक बड़ा श्रौद्योगिक केन्द्र है । जूट का धंधा यहाँ केन्द्रित है। जूट का सामान अधिकांश में विदेशों को जाता है यही नहीं जूट, चाय, कोयला लोहा; अवरख, मैंगनीज़ भी इस बन्दरगाह के व्यापार क्षेत्र (: Hinterland) में ही है और इसी के द्वारा अन्य देशों को यह वस्तुयें भेजी जाती हैं। कलकत्ते के समीप ही लोहे और स्टील का धंधा केन्द्रित है। अतएव जो पिग पायरन विदेशों को जाता है वह कलकत्ते के द्वारा ही जाता है। इन्हीं कारणों से कलकत्ता भारतवर्ष का प्रमुख बन्दरगाह बन गया है। हाँ कलकत्ते में मुसाफिरी जहाज कम आते जाते हैं क्योंकि नदी की यात्रा