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जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति

जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति कारण आकाश साफ रहता है। यही कारण है कि यहाँ प्रचंड गर्मी होती है । सायंकाल को यहां तेज़ अंधड़ चलते हैं जो बहुत गर्म और रेत से भरे होते हैं। इन मरुभूमियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है (१) नीची भूमि के ऊष्ण रेगिस्तान जिसमें सहारा. भारत की मरुभूमि, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका में कालाहारी, और दक्षिण अमेरिका में आटाकामा के रेगिस्तानों की गणना होती है। (२) शीतोष्ण रेगिस्तान पठारों पर पाये जाते हैं। जिसमें ईरान, गोबी, तथा उत्तरी अमेरिका में पालोरेडों के रेगिस्तान सम्मिलित हैं। इन मरुस्थलों में जाड़ों में बहुत ठंड रहती है। रेगिस्तानी प्रदेश आर्थिक दृष्टि से महत्व हीन हैं यही नहीं वे पड़ोस के देशों की धार्षिक उन्नति को भी रोकते हैं क्योंकि उनको पार करना कठिन होता है। किन्तु इन प्रदेशों का जलवायु स्वास्थ्य के लिए बुरा नहीं होता। परन्तु रेत के तूफान यहाँ आने-जाने में कठिनाई उपस्थित करते हैं। यहाँ के मुख्य वृक्ष खजूर और अंजीर हैं जिनसे मनुष्य को भोजन मिलता है। जिन स्थानों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं वहाँ गेहूँ ज्वार वाजरा. भूमध्य सागर के फल, कपास, गन्ना भी उत्पन्न होता है। अधिकांश मनुष्यों का धंधा यहाँ पशुपालन तथा खजूर, नमक, और चमड़े के सामानं का व्यापार है । गरम रेगिस्तानों में मनुष्यों का जीवन बहुत कठिन है। जहाँ कहीं जलस्रोत (Oasis ) मिलता है। वहीं कुछ जनसंख्या निवास करती है । ऊँट, भेंड़ और बकरे बहुत पाले जाते हैं। यहां के मनुष्य निडर और साहसी होते हैं किन्तु अतिथि-सत्कार करने वाले तथा सच्चे होते हैं। कुछ मरुभूमि प्रदेशों में बहुमूल्य खनिज पदार्थ मिलते हैं। तेल और पेट्रोलियम पीरू और इराक में, हीरे कलाहरी मरूभूमि में, सोना कालोरेडो और पश्चिमीय आस्ट्रेलिया में, सहारा में नमक, नाइट्रेट (शोरा ) और तांबा चाइल के अटकामा रेगिस्तान में तथा सीसा और जस्ता न्यू साऊथ वेल्स की मरुभूमि में मिलते हैं। अब अमेरिकन और इंगलैंड के पंजीपति इन प्रदेशों में धंधे खड़े कर रहे हैं। और यहाँ के खनिज पदार्थों को निकाल मानसूनी जलवायु के प्रदेश में वर्षा भर गर्मी अधिक रहती है। वर्ष ___ में दो मौसम होते हैं। एक वर्षा का मौसम दूसरा मानसूनी-जल सूखा । तापक्रम भिन्न भिन्न मौसमों में बहुत घटता बढ़ता घायु ( Monsoon रहता है। वर्षा के तापक्रम का मध्यमान ८०० से भी Climate) अधिक रहता है । वर्षा बहुत ही अनिश्चित होती है। वर्षा की भूतु जून से सितम्बर तक रहती है। कहीं