पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१६२

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मीरखमझाकीण -प्रसम्म लिया। मिती प्रौरहर ने गायारा पूर्व पई मार्य में दोनों मित्र मिल गए। भोरपग अपनी समस्त सैन ए बीरे-धीरे प्राये पहाया। मोदी उसमे मीरमहा द पोरें पर मामाया मुभगाम प प्रावे रेखा-या मोड़ा हा का मारापी, अपामी, पातामा दोनों बाप देता र सी भोर पहा । उसके पास पर पापो से उतर पा। नो मित्र पर पळे मिहे। फिर एन्ध में बैठकर दोनों में पा । मौरंग ने मा-"मुझे बर्ष मास : पारने दो आसान मम्मद से भर लिन पा पर विशाल दुरस्त पा भोर 'राक मेरे सालेय मासे पर भी मी पनी थपलियाका सपके गज-पच्छे दाप सिकार में है, बाहिरा मापने ई ऐजीयम परनी चाहिए बाकि हमारे ए में मुनीर बत हो। लेकिन आप भाति शो मा वाव सममाने t परत नहीं कि इनिध में हर मुश्किल काम पाखिर एक पदवीर होती है। इन एक वरपर मेरे रेहन में पाई। , बससे मचाहिर भाप इन होंगे। मगर या उसके नशेषोऊपर मसूरी पार गे वो मिसागपा-माप भरनोप्रवास में उसामवीरे सिरे एक पनी परियोचारणा । वारा माप पादिर होना मदरसे मामबहार में मेरी मापी पुरमनी भीम शेपारमा और सम से हम होम अपनी दमाम साहिलो में प्रमपाल । गेसोरिविती शम्स रगम ऐसा गुमान नही गाविपार से स्टयेईमादमीत वय पफ्नी सुशी से मपा ।" बना र मौरंगये। वोपी मब से उसे जमे बगा! मीरउपहा ने कासियों से हपर पर रेखा पीठ पीछे सचान साम्मद और मझवान मुप्रयम में सवार सिए बो में। या रेशर मीरनुमा तपा