( म ) प्रा। विभिन्न प्रान्दों का प्रपोरे-छोटे स्वाधीन रावामों के बाप में न यार सीपा बादशाह द्वारा नियुज कर्मचारियों पर ही होता था। और इसी से इविधासकार इसके साम्राम्स प्रयोग, समुद्रगुप्त या के साराग्य से भी अधिक पिणात प्रौर परिपूर्ण पते। रवी बारगार के शासनकाल में दो माम् पटनाएँ हुई-एक पिप में मसकालीन मराठा राबवरारे भग्नापरोपों से मराठा-राष्ट्रीयता का उदय हुमा और दूसरे उच्चर में सित सम्प्रदाय मे सैनिक रुप धारण कर मुगल साम्राम विन्स वलबार उठाई। इस प्रकार प्रठारापी उन्नीसवीं शतामियों में विकसित प्रमुख मारतीय ऐतिहासिक घटनाओं का प्रारम्म भी इसी महान् सम्राट राम्पचत इसी सम्राट पीचन-मन में मुगम तम गमग होने लगा। सामान्य के समाने और गौरव का दिवाना निभा गया। ग्रासन मरपा विभ-भिव हो गई और मुगल रावसाचा देश में शान्ति और राम एकता बनाए रखने में असमय हो गई। भारत * भावी शासर पर भारत में बम गए। ईस्ट इपिरया कम्पनी ने सन् १५. में मदात प्रान्त, १५८० में बम भोर १५५ में कहता मेसेरेम्सी भी नीव गली। वितसे उन गोरोपीय प्राभव स्थानों ने सामान के भीतर पूरे स्वाधीन पस का रूप धारण कर दिया । साषी राताम्दीभातीर में मुगल साम्राम्प की बरें सोमती हो पती थी। सपाना लामी पहा पा, मुगल सेना दुश्मनों से पपचिव पअपमानित होनी थी। देश में हर गम्प स्थापित होने लगे । मुम्ह जाग्राम विश्न-मिग्न हो रहा था। सामाम्प का नैतिक पतन हो दुध वा सो निमाह में मुगल साम्राम प्रवि प्रापर भमाष नाम मात्र प्रेमी न पा । तरपरी कर्मचारी मानगरी अपसवा मोके पे, म मन्त्री शासनपर पे, न गम | सेना निम्नल और अनियमितपी। प्रागे चलकर नादिरशा पौर
पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१९
दिखावट