पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२३४

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पमा धीर पर सेना का पईनची रात मालूम होना बाठा था। उसने अपने तमाम पनाहो मुसा कर एक प्रोग-ती पुरसमा दी, इसमें ठहमे अपने सेनानायको सम्बोधन परोहा-" भापोवा शानदार प्रता दासित बरने समर प्रा गोवारील में प्रमर रोगी। माप अब बलिए बार पीए। म मिनी बस्दी करेंगे उतनी में समता मिशेयौ। हम भापकी बहादुरी दिगईमानदारी और पीरण पर मरोसा दोस्तो, रीनन वर पारदम मेगी। इसके बाद उसने प्रत्येक प्रसर से उत्तम बवाए और विदा रिमारिबाबही पनी से अपने ही में में राममे भगा | मुराद में उसे विपतित देशार पक्षा-"R दरपेण है।" "श्री नही, मगर मैं एक बार का मुम्समिर मुमे पौरमेव पूरी बात नीर पाया कि उसे उसके ममाई मोर बापामामे की विमा मिसी। रजपा र सीमेपरवाये मगा। वापसी से -"माई चान, एएलमा हामती है।मोक्याबर सार" मीरमा मे मुरकुरा र तव और प्रामे बदा रिय। और मोमपची पात चार लव पदमे लगा। पत्र पदवे पदवे व पोय लिल उठा। उसमे मुराद से मा-"मुबारक इबारत, हमारी से पड़ी मरिमा हो गई। बा १२ ओपरेटर पर एक पारौबा पगप पार न पानी भी पुटनों तक के बीदार मे हमारी मदर बरना कार सिरावा बीज और विकरामें मादिगानीमहीनी रामे देनी होगी और पाप अपनी तवी बहादुरी और रिवरी से करार कुनीन्दा सवारों से पाकर सरापुरचार नही पार सतर बार किमिटी कोनोमन वार न । पत, पाप बित पड़ी मदी के उस पार परम रसेंगे उसी बसी राय की नसीरप सितारा इस बाबगा।