पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३११

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भाममगीर अब मोदी शाही सेना ने पहनावों के मोर्चे पर पाना बोला, हाय दी पोरगद का पोपताना मी माग उगलने लगा। इससे दाग की सेना मम्प माग शाहनवाब को सहायता न पहुँचा सम। फिर भी णानबाम ने सर सामना किया । परन्तु अन्त में उसके पैर उबर गए और पा माग पहा । भोरंगब ने पापो के किनारे तर गरे मैदान पर प्रपिपर कर लिया । ती समय पबम्म सेनिको मे गोकला की चोटी पर णाही झा गारकर बोर से अपनार किया। भक वा देव पर कि रानु पीठ पर मी वा पहुंचे, दाय की सेना निगम को माग पनी समय धौरंग मे नारों पर हमला बोल दिया। पर दो सैनिक तपा सेनापदि सब भाग को हुए भोर मैरान औरंगधे के हाप रहा । गोकशा पहाड़ी पर शुस अपिधर हो पाने से पाग पत पारा गया और पौराहा पर फेनम पारा सापियों पा अपने पुत्र सिपर शिधो पर सिर पर पेर र गुबगह मोर मामा । बसवन्त सितापने से बो दबाये के पास ही एप पे, ठहोंने बाप में सेना की सारी सामग्री और सामान ढोमे मासे उसके गत से मानबर र सिए । या बावा है कि पुर में साइनपावच ने उसे पूप दिया। मर में पास या था, पर जबरामन मिसा पा। दो गोले पोपपे, धन येहि दिना मोजी श्री बाला मर्य की। उमसे मह सम्पमात्र ही होता था। यानपावासी वा में मा० मा प्रोर महायब मि मे पायदाना दी कि परे गाने सेना पाहो, तुरन्त पुरष से प्रज्ञा हवामो । १९ पर पिमूदी माँदि दाग माग तामा और खेत मोरयकराम पा। युदरे समय पाय ने अपना सारा माना और राम अयमेर में भानावगर के मारे शेषा म्य । उमेराली गावठो नापी मेरवा में उससे प्रा मिले। यहाँ उसमे सुना कि माराम और बमारी अधीमता में बर्दस्त पौष उपके पौधे पा रही है। राबपूर्व पुरक ।