पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३३०

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विहंगम दृष्टि पौराका साय माग्न त स-सोवमान प्रमों में पाता है। पासा प्राण गम मारत में और दूरुप प्रसंग पधिप मारत में। पहला ग्रह उच्चर माणकामातपूर्व ऐतिहासिक हो। प्रल में सम्पूर्ण साधनियर सैनिक प्रवाहित केन उचर मारवतीया । परन्तु अपने वाहन पेयर्ष में प्रौरखने अपने कुछमियों, प्रमीये, परमारियों, को-को हाकिमो और साय मेना परपिय में पका पा, भोर ए साथै राधियाँ पदिय में दुरगा। इसका परिवाम हुमा कि सरी मारतान म्पबरपा गया गो, विखसे प्रया में परिवा मार गई और यह पमचारी प्राचारी हो गए। पर पचिरपति रे पपीव वर्ष का रही। सानामा था रिसर यया और उसमें प्रगममता रखने सगे। पा एक मात्रै बावल औरस्यान पूर्व में बा महत्वपूर्ष पटनाएँ परी । उचरी मारव किसी की स्थान में मित मीस प्रत में मामा शादी झपास से कर पामसमपादियो बर और वियत से बीमापुर वापराने हमा। गाउन प्रल दूसरे पे देय मई १८ में ग्रौपानेरपी मनाम से शिो-चाल पर बैठा और हर घरटर पर राज्य भर में उत्सव मनाया गया। थाम्न मह बरे वर्ष या परमार पपा, हेमिया का मिास में , प्रौरसरमागरे नही गयान उसनेपोसालिया। १५.पपरी पर ग्राहकों की मृलो वरपर प्रापरे पर। पन्सारी कप में उसने अपमै पल्लामियी विपि भ उल्लर मनाने और मरने की