पृष्ठ:आलमगीर.djvu/४९

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पालमगीर सुनना उसे भाषा पा, पानी होगों ने पास रामे देवा को उसके काम के होते। बासम मरपूर इनाम देकर कुरा रखवा वापर अपने मेद पिार रखने में एक पा । पर ईमानदारी और करी प्रदेगा रमता था। परणार और पारा इससे बहुत भव पाते और इस पक्षाचे दूर ही रखना पाहते थे, इसी से बादशाह ने इसे दक्षिण मेव दिया था। उसनपिस कर रोगी-सा वा भौर पर हमेशा इकन कुछ करता ही रहता था। वह सिर्फ वही हर्ष र बाँ ममस्त प्रारयकता हावी । वह मा इस बात में प्रवीन रहता पाकि दुनिया की नबर में दाम्पापी और पमामा एवं चतुर प्रवीत दो। बाद में दूसरी मेरी रोशन मारा सी पद की भी । परमागरे के समास में बैठी हुई शादी परमार में उसी पदित सापन परमे में रशम पती थी। उसके द्वारा पोरसवअपने विपक्षियों का पई-रची पाल निरम्वर मिशता राता था। पर भी प्रस्वम्व मुनी, पधन और पापपात में एक ही पी। दारा मोर को दिनमा पानबर से ऐसती पी। पर न तोच पाही दरबार में दाना पतवादी पा न इवने प्रषिभर मिठने पानाप बेगम में। इतके सिवा पापणा और पेगम दोनों ही इस पर समेत करते थे। परम्त पर अपने मेर गुप्त रखने में मग चोडत पी और निकट सब गुप्त हातात पौरख ग्रे मेबवी पती पी। पारगोमा सबसे छोम पेय मुराद एक बापसाप पा परन्तु बह मूर्स, पिसाती चोर कापी पादमी पा। केबस मध्ये साने-पीने, नाचना, गिधर, परिवार पाने में दीपा मस्त पता पा। वीर प्रनियाना सगाने में पाएर पा । भाशा और पर्वा न में मीत्तीय वर पाये मारणे में सबसे गरकर पीर पा। अपनी वावा से पाप ही बमरामा। सहाईकी पो उठाने पर पर