सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/१२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Fदीनता:.. . . जया गुन. नाम स्याम तथा ने सक्रति मोहि. .

सुमिरि तागि पछु कृष्ण कथा कहिये ।

गोकुल की गोपीकिये गाह किये ग्वारि कि चे. ' ... { बनेको हुँ लीला' यह चरवानि चहिये । कुंजनि के फीट चै जु जमुना के भीट तिनै, पूजिये किंपिले हकै कविलासलहिये। 'सेख रिस रोपेखि दोपेनिशोमोप है. जो एकौधरी जनम में घोप माँझारहिये ॥२४॥ . .. Er . मिटि गयो मौन पौन "साधनको सुधि गई, :.. भूली: जोंग जुगतिः विसायोता वन को । 'सेरा, प्यारे मनःको उजारो मयों: म नेम in तिमरा अशान गुन नास्यो बालपना को । - चरन कमल ही की लोचनि में लोच धरी, रोचन है गच्यो सोचामिटी धाम धन को । सोक लेस नेकु हाकलेस'को न लेस रह्यो । सुमिरे श्रीगोकलेतागो फलेसामन को॥२६॥ पड़ो समः सूधो बैंडो कठिन किंबार द्वार:: द्वारपाल नहीं तहाँ सबल' भगति है । १-कविलास = स्वर्ग । २-घोप- अहीरों की बस्ती (मन)। ३-गोकलेस - गोकुलेश ( श्रीकृष्ण ) .... .