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पृष्ठ:इंशा अल्लाह खान - रानी केतकी की कहानी.pdf/१०

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रानी केतकी की कहानी

ती जिस डौल से बन आवेगा, ढाल तलवार के बल तुम्हारी दूल्हन हम तुमसे मिला देंगे। आज से उदास मत रहा करो। खेलो, कूदो, चोलो चालो, आनंद करो। अच्छी घड़ी. सुभ मुहूरत सोच के तुम्हारी ससुराल में किसी बाह्मन को भेजते हैं; जो बात चीत- चाही ठीक कर लावे।" और सुभ घड़ो सुभ मुहूरत देख के रानी केतकी के माँ-बाप के पास भेजा।

बाह्मन जो सुभ मुहूरत देखकर हड़बड़ी से गया था, उस पर बुरी घड़ी पड़ी। सुनते ही रानी केतकी के माँ बाप ने कहा—"हमारे उनके नाता नहीं होने का! उनके बाप-दादे हमारे चाप दादे के आगे सदा हाथ जोड़कर बातें किया करते थे और जो तेवरी चढ़ी देखते थे, बहुत डरते थे। क्या हुआ, जो अब वह बढ़ गए, ऊँचे पर चढ़ गए। जिनके माथे हम बाँए पाँव के अँगूठे से टोका लगावे, वह महाराजों का राजा हो जावे। किसी का मुँह जो यह बात हमारे मुँह पर लावे!" बाह्यन ने जल-भुन के कहा—"अगले भी, बिचारे ऐसे ही कुछ हुए हैं। राजा सूरजभान भी भरी सभा में कहते थे—हम में उनमें कुछ गोत का तो मेल नहीं। यह कुँवर की हठ से कुछ हमारी नहीं चलती। नहीं तो ऐसी ओछी बात कब हमारे मुँह से निकलती।" यह सुनते हो उन महाराज ने बाह्वान के सिर पर फूलों की चंगेर फेंक मारी और कहा—"जो चाह्मन की हत्या का धड़का न होता तो तुमको अभी चक्को में दलवा डालता।" और अपने लोगों से कहा—"इसको ले जाओ और ऊपर एक अँधेरी कोठरी में मूँद रक्खो।" जो इस बाान पर धोतो सो सब उदैभान के माँ-बाप ने सुनी। सुनते ही लड़ने के लिये अपना ठाठ बाँध के भादों के दल बादल जैसे घिर आते हैं, चढ़ आया। जब दोनों महाराजों में लड़ाई होने लगी, रानी केतकी सावन भादों के रूप रोने लगी; और दोनों के जी में यह आ गई—