का खोज खोया—कुँवर उदैमान और उसके माँ-बाप दोनों अलग हो रहे। जगतपरकास और कामलता को यों तलपट किया। भगत न होती तो ये बातें काहे को सामने आतीं।" मदनवान भी उनके ढूँढने को निकली। अंजन लगाए हुए रानी केतकी रानी केतकी कहती हुई पड़ो फिरती थी। बहुत दिनों पीछे कहीं रानी केतकी भी हिरनों की दहाड़ों में उभान उदेभान चिघाड़ती हुई आ निकली। एक ने एक को ताड़कर पुकारा—"अपनी तनी आँखे धो डालो।" एक डबरे पर बैठकर दोनों की मुठभेड़ हुई। गले लग के ऐसी रोइयाँ जो पहाड़ों में कूक सी पड़ गई।
दोहरा
छा गई ठंडी साँस झाड़ों में।
पड़ गई कूक सी पहाड़ों में॥
दोनों जनियाँ एक अच्छी सी छाँव को ताड़कर आ बैठियाँ और अपनी अपनी दोहराने लगीं।
बातचीत रानी केतकी की मदनवान के साथ
रानी केतकी ने अपनी बीती सब कही और मदनवान वही अगला झोंकना झौंका की और उनके माँ-बाप ने जो उनके लिये जोग साधा था, जो वियोग लिया था, सब कहा। जब यह सब कुछ हो चुकी, तब फिर हँसने लगी। रानी केतको उसके हँसने पर रुककर कहने लगी—
दोहरा
हम नहीं हँसने से रुकते, जिसका जो चाहे हँसे।
है वही अपनी कहावत या फँसे जी आ फँसे॥
अब तो सारा अपने पीछे झगड़ा झाँटा लग गया।
पाँव का क्या ढूँढ़ती हो जी में काँटा लग गया॥