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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/४३

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दुसरा खण्ड


मलीन से सूरजगढ़ तक पहाड़ पर मोरचे जमाये थे। रैला और देषथल इसके बीचमें थे दोनों कमज़ोर थे। अकृरलीनी ने मेजर इनिस के तहत में तो कुछ फ़ौज रैला परभेजी और कर्नलटाम्सन को देवथल पर हमला करने का हुक्म दिया। इसी तरह कमान शवर्स को क़िले के नीचे नयपालियों की छावनी लेने को रवाना किया। कप्तान शवर्स मारा गया। लेकिन, रैला और देवथल सर्कारी फ़ौज के कब्जे में आया। दूसरे दिन अमरसिंह ने भक्तिसिंह को इन्हें वहाँसे निकालने के लिये बढ़ाया। और आप निशान के साथ बची हुई फ़ौज लेकर मदद को मुस्तइद रहा। नअघाली कमान की शकल भक्तिसिंह के पीछे भारेज़ो कोज का दोनों कमारा दबाएशेरों की तरह इस तरह पर संधेि बढ़े पाते थे कि अर्चि सकारी तोपखाने से ज़ंजीरी गोले झाडू की तरह मैदान को दुश्मनों साफ़ कर रहे थे इन नयपालियों के निशानों से सार्कारी तमाम तोपों पर कुल तीन अफ़्सर और तीन ही गोलंदाज़ वाक़ी रह गये। बाक़ी सबकाम आये या घायल होकरवेकाम हो गये। दो घंटे तक कामिल लड़ाई होती रही। आख़िर अंगरेजी जवानों में संगोनें चढ़ाई और नयपालियों पर हमला कर दिया पांव न ठहरसकेपीठ दिखाई। भक्तिसिंह की लोथ खेत रही अमरसिंह किले में घुसगया बीर ओर बहादुर दुश्मन भी इज्जत के लाइक है जेनरल अकृरलोनी ने भक्तिसिंह की लाश दुशाले में लपेट कर अमरसिंह के पास भिजवा दी। उसको दो स्त्रियां उस के साथ सती हुई सारी फ़ौजरोज़ बरोज़किला लेने की तदबीरें करती जातो थी। यहांतक कि आठवीं मई को हमला कर देने की तयारी हुई। अमरसिंह ने अबअपनी ताकत मुकाबले को न देखकर इश करार पर कि सर्कारउसके आदमियों को और जेतक के किलेवालों कोभी अपने हथियार और माल असबाब समेत नयपाल चला जाने दे किलों को ख़ाली करके जमना के पच्छम विलकुल इलाके छोड़ दिये। समरसिंह को शिकस्त खाने से नयपाली मुस्तपड़गये। पयाम