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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/४५

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दुसरा खण्ड


करके मंदिर से देर की तरफ लोटा। पांच आदामियों ने पीछे से झपटकर उसका काम तमाम कर डाला। सर्कार जान गयी कि यह पेशवा के इशारे से हुआ। लेकिनउससे कुछ न कहकर चिम्बक की बम्बई के पास ठाण के क़िले में कैद कर दिया। पेशवा को यह बहुत बुरा लगा। पर इलाज क्या था इस उसमें पिंडारों ने बड़ा जुलूम मचादिया था यह निरेलुटेरेथे। हिंदू मुसलमान सब कोमके आदमी उनमें शामिलथे। सवारीउनकी घोड़े से टट्टू तक। भोर हथियारउनके बंदूकसे निरसोंटेतका हज़ारोंही गिनती मेंथे मंज़िलों का धावा मारतेथे। जहाँजाते थे ठोकरे तक नहीं छोड़ते थे। भूलकर और संधिया मेइनको नर्मदा कनारे इलाकेदेरक्खे थे। और दुश्मनोंका इलाका नबाह करनेकोइन्हें बहुत अच्छा बसोला समझते थे। अबतकतोइन्हों ने पेशवा और हैदराबाद ओर नामपुरवाले के इलाकों को लूटा लेकिन अब सारी अमलदारी में भी थावा मारनाशुकिया। किसी साल बिहार का सूबा लूटा किसी साल सूरत जा घेरा किसी साल गंतूर और कड़पमें सिर ना निकाला॥ भवनर जेन- रल को मालूम हो गया कि जब तक यह पिंडारे नेस्तनाबूद म किये जायंगे इस मुल्क में अमन चैन को सूरत पैदा न होगी निदान गवर्नर जेनरल में हर तरफ से फाज़ों की रवा-१८१० ई० नगी का हुक्मराजी किया। और इस हुक्मसेयहां और दखन दोनों जगहमिलाकर एकलाख तेरह हजार आदमीका लश्कर ३०० तोपोके साथ रवाना हुआ। बंगाले को इकसठ हज़ार सिपाही में से बड़ा हिस्सा गवर्नर जेनरल के साथ कानपुर में था। दहना बाबू आगरे में रहा। बायां बुंदेलखंड में उसने बायें और भी दो टुकड़े मिरज़ापुर के पास और बिहार की सईट्ट पर थे बची हुई फौज सर डेविड अकरलोनी के तहत में दिल्ली की हिफाजत को रही। दखन को बावन हजार सिपाहमंदराजके कमांडरइनचीफ़सर टी० हिस्लपनेपांचहिस्सों में बांटी। लेकिन मसल मश़हूर है। बेल न कूदा कूदो गीन पिंडारों से तो अभी लड़ाई शुरू भी नहीं हुई थी। वैशवा