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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/४९

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दुसरा खण्ड


दख़ल में आ जाने से सर्कारी अ़मल्दारी बहुत बढ़ गयी अजमेर भी इनके क़ब्जे़ में आया। और कच्छ गुजरात और रच- पुताने के सब राजाओं ने बल्कि उदयपुर के रानाओं मे भी जिन्हों ने न मुसल्मानों के स्त्रम्हने और न मरहठों के आगे कभी सिर झुकारण था बड़ी खुशी से सर्कार का हिफ़ाज़त की हाथ अपने ऊपर क़बूल किया। जब पेशवा ऐसे सर्दार की जो नव लाख घोड़ों का धनी कहलाता था बाई पचंययी तो अब पिंडारों का हम क्या हाल लिखें इतना ही लिखना काफ़ी है कि दखन की सर्कारी फोन ने नर्मदा पार होते ही पिंडारों के बिजुकुल इलाकों में कब्ज़ा करके उन्हेंतोनतेरह करदिया। ओर बंगालेकी सारी फ़ौज ने भी खूब उनका शिकारकिया। अमीरखां ने जिसके जानशीन अव टों के नबाब सहलाते हे अपनी लुटेरे फ़ौज दूर करके सर्कार को अहदनामा लिख दिया। अरीमखां ओर वासिलमुहम्मद पिंडारों के सारों ने जो महोदपुर में हुल्करको फ़ौजके साथमार्कार से लड़े ने अपने तई सर्कार के हवाले कर दिया। सकार में उन्हें खाने को गोरखपुर में जागीरें दी बासिलमुहम्मद ने भागना चाहा था और जब भाग न सका जहर पार भर मया। इन पिंडारों का नामी सदार चीतू जो आपा साहिब के साथ असीरगढ़ तक गया था जंगल में शेर का लुकन्न हुआ।

लखनऊ का मब्बाब वज़ीर संबादत अलीखां सन् १८१४ मैं मर गया था। उसके बेटे और नानशीन ग़ाजियुमोनहेदर में अब प्रकारकोइजाज़त से लकबबादशाहका इख्तियार किया।

माचिस श्राफटिंग्ज सन् १८२३ में गवर्मरजेनरलके उढे १८२३ ई० के मुस्ताफ़ी होकर विलायत गया । मोर वहांठसेइनखिदमती के नाम में छ लाख रुपये की कीमत कह सकीर से इलाका मिला। इस के उहदे पर जार्ज केनिंग * मुर्रर लेकिन पीछेसे जब उस ने उससे इनकार किया लार्ड सम्हस्ट


इसी के बेटे लार्ड केनिंग ने सन १८५७ का बना दबाया और इस मुलक को तबाह होने से बचाया। हुआ था।