पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/५४

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इतिहास तिमिरनाशक


और नसीरुद्दौला को मुहम्मदअली शाहको नामसे तख्ते पर बिठाया। इस में बेगम के तास वालाआदमीमारेगये। और घायल हुए। इकबालुद्दौला नसीरुद्दौला के बड़े भाईका बच्चा था। लेकिन उस ने बगम की तरह बेवकूफ़ी न करके दूसरी तरह की बेवकूफी को कोर्ट आफ़ डेरेक्टर्स के सामने अपना दावा पेश करने को खुद विलायत गया है और जब यहां से साफ़ जवाब पासया। बग़दाद में रहना इख़तियार कर लिया उस का बड़ा भाई यमीनुद्दौला बनारस में रह गया।

इसी के थोड़े दिन बाद सितारे के राजा की भी कुछ अकल मारी गई। यह न समझा कि उस ने बह अपने पुरखाओं को गद्दी सिर्फ सर्कार की मिहर्बानीसे पाया आखिर मरहठा था गोवे में पुर्टर्ग जो से जोड़ तोड़ लगाने लगा कि उन की फ़ौज अंगरेज़ों को निकालकर इसे मुलक का मालिका करे। और यह उन्हें धन और धरती दे। नागपुरवाले आपा- साहिब से भी चिट्ठी पत्री जारीकी। सर्कारी फ़ौज के सिपा- हियों के बहकाने की कोशिश होने लगी। सर्कार ने बहुत समझाया। आख़िर जब किसी तरह अपनी हर्कतोंसे बाजन आया क़ैद करके बनारस भेज दिया और उसके भाई को (सन् १८३९ ई०) गद्दी पर बिठाया।

इस अ़र्से में अहमद शाह दुर्रानीके पोते शाहशुजीउनमुल्क को जो अफगानिस्तान का बादशाह था। उसके भाई महमूद ने वहांमे निकाल दियाथा। शाहशुजा तो कुछदिन रंजीतसिंह को क़ैदमें रहकर और कोहनूर हीरा*खोकर पनाह के लिये


कोहनूर हीरा शाहजहांने अपने तख़त ताऊस में लगाया तख़त ताऊस दिल्ली से नादिरशाह लेगया मादिरशाहले यह हीरा अहमदशाह के हाथ लगा उसके पोते शाहशुजासे रंजीत सिंह ने बहुत बुरी तरह से लिया वह बेचारा इस के पास मदद और पनाह मांगने आया था इस ने कोहूनूर के लालच में पड़कर उस पर पहरे बैठा दिये और जबतक इसनेकोही- नूर न हवाले किया खाना पीना बंद कर दिया।