पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/६७

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दुसरा खण्ड


पंजाबमें भी फ़साद उठनेवाला म़ालूम होताथा। ग्वालियरवालो से साफ़ कहलाभेजा कि अगर सुलह रखनी मंजूरहे तो ग्वालि- यर में सर्कारी कांटिजेंट की फ़ौज बढ़ादी। और उस के ख़र्च के लिये कुछ इलाके सर्कार के हवाले करो। और फिर साथही इस मज़मून का इश्तिहार देकर कि सर्कारी फ़ौज महाराजकी हिफ़ाज़त के लिये पायी हे ग्वालियर की तरफ कूच किया। उन्तीसवीं दिसम्बर को महाराजपुर और पनिअर में सेंधिया की फ़ौजसे मुकाबला हुआ। खूब सख़्त लड़ाई हुई। सेंधिया की फ़ौज ने हर तरफ से शिकस्त खायी। पाँचवीं जनवरी को १८४४ ई० गवर्नर जेनरल ग्वालियर में दाखिल हुए सेंधिया ने नया अ़ह्दनामा लिख दिया कि जब तक वह अठारह बरस का न हो काम राजका रजीडंट को सलाह मुताबिक़ अहलकार अंजाम दें। कोटिंजेंट को फ़ोज बढ़ा दी जाय उसके खर्चो लिये कुछ इलाके सर्कार जुदा करले महाराज की सिपाह नौ हजार से कभी ज़ियादा न होने पावे और तोप बारह जंगी और कुल बीस ऐसी वैसी रहे श। लार्ड एलनबरा ग्वालियर की मुहिम्म तै करके कलकत्ते मुड़ गया लेकिन वहां विलायत से उसकी बदली का हुक्म आया। उसकी जगह पर सर हेनरी हार्डिंग गवर्नर जेनरल मुक़र्रर हुआ।


सर हेनरी हार्डिंग (लार्ड हार्डिंग)

रंजीतसिंह लार्ड अकलैंड को मुलाकात के बादही बीमार पड़ा। और सत्ताईसवों जूनको (सन् १८३६) शामके वक्त होश हवास के साथ ५८ बरस को उमर में परलोक को सिधारा। हकीकत में इस आखिरी ज़माने के दर्मियान इस मुल्क में यह बहुत बड़ा और नामी आदमी हो गुज़रा इस का दादा चतरसिंह सूकरचक नाम गांवके रहने वाले नोधसिंह सांसी जाट का बेटा गूजरांवाले में एक कच्ची गढ़ी सी बनाकर रहा करता था। और काम पड़ने से पच्चीस सो सवार जमा कर सकता था। रंजीतसिंह ने अपमा मुल्क सिंधको सहदसे चीन को अमल्दारी तक पहुंचादिया। ओर ख़ैबरके घाटेसे सतलज