और हुआही चाहै। जिनके मुल्क इंगलैंड में ज़ियादा आदमी
एकही कोम और एकही मज़हब के बसते है कानून मुताबिक
बकालतन् बादशाही करते हैं अपने मुल्क के लिये जान देने
को तैयार रहते हैं औरतें भी मुल्कदारी के मुसामलों में दखल
देती हे गोया सो स्याने एक मत को मसल पर चलते हैं यह
क्यों न इस बात से तअज्जुब मैं आवें कि सिर्फ एक चिकनाई
लगे कारतूस काममें लाने के हुक्म से बंगाले की सारी फौज
बिगड़ जावे। वह फौनजो सैकड़ों लड़ाइयों में सर्कारके अलग
की शर्त बजा लायी और अपने अफसरों को मा बाप समझता
रहो अब उन्हीं अफसरों का पला काटे । फोज के बिगड़तेही
पारे हिन्दुस्तानमै खलबली पड़ जावे बदमाश हरतरफ लूट
मार मचा देवें। रईस अमीर जो अंगरेजों के बढ़ाये बढ़े
ओर जिनके बुलाये अंगरेज़ आये कुछ परवा न करें बल्कि
जिनको ऐसे वक्त में सकार के लिये जान माल सत्र निछावर,
करना चाहिये था बहुतेरे उन में से अलग रह कर तमाशा
देखा करें । लेकिन हम लोगों के लिये इस में कोई तमन्नुब
की बात नहीं हे फ़ोज में तो सिपाहियों को यकीन हो पया
था कि इस तरह पर कारतूगों के काम में लाने का हुक्म
जान बूझकर सिर्फ उनको जात लेने के लिये दिया गया है।
सन नये कारतूसों में इस लिये कि बंदूक की नली में फंसन
रहें चर्बी की चिकनाई लगायी जाती थी और चर्बी को छूना
हिन्दुओं को मना है । ये बेसबरे सिपाही इतना कहां सोच
सकते थे कि वह कारतूस दूसरी तरह पर भी काम में
सकता है जिस में उनकी बात न जावें । ओर जहर कुछ
लिहाज़ होगा, अगर अच्छी तरह इन मुकिलों की खबर
सकार तक पहुंचाई जावे ॥ सिपाहियों ने समझो कि बड़ी बे.
इज्जती हुई । ग़रज़मंद और मतलबी यारों ने उनको योर भी
भड़काया कि यह उनको बे इज्ज़ती जान-बूझ के को गयो ।
निदान देखते ही देखते यह बसवे को हवा सारे हिन्दुस्तान
में फेलो बिरती ही छावतियां तो इसके चहर मे बची रहीं
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इतिहास तिमिरनाशक