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पृष्ठ:उपहार.djvu/१

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समर्पण

श्रीयुत कमलाकरजी पाठ प्रेस

जबलपुर भाई कमलाकर जी! प्रस्तुत पुस्तक को समी कहानियाँ मैने यपूने कहानी लब की 'भिन्न भिन्न बैठकों में पढ़ने के लिए लिखी थीं। आप इस सब के एक सम्मानित सरहक है, और पारगम से ही इन कहानियों को पुस्तकावार प्रकाशित करने के लिए मुझे प्रोत्साहित करते रहे हैं । अतएव मेरी यह पुस्तक प्राप ही को समर्पित है। सुभद्राकमारी चौहान