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दोनों सगे भाई बहिन से किसी बात में कम न थे। अब भी
हर साल विमला बड़ी धूम धाम, से अखिलेश को राखी बांधा
करती थी। चुनी सगी बहिन होकर भी अखिलेश के हदय
में वह स्थान न बना सकी थी जो विमला ने, अपने सरल
और नम्र स्वभाव के कारण बना लिया था। विमला सरीखी
चहिन पर अखिलेश को उसी प्रकार गर्व था, जिस प्रकार
विमला को अखिलेश के समान मुशील, तेजवान; और
मनस्वी भाई के पाने पर था।
यो. ए. की परीक्षा में युनोसिरी भर में फ्रस्ट श्रा
जाने के कारण अखिलेश को विदेश जाकर विशेष अध्ययन
के लिए सरकारी छान-वृति मिली,और उसे २ साल के लिए
विदेश जाना पड़ा। विदेश जाने के १॥ साल बाद ही
अखिलेश को लाल लिफाफे में विमला के विवाह का निमंत्रण
मिला। विमला के विवाह के समाचार से यह प्रसन्न तो
हुया परन्तु वह विवाद में सम्मिलित न हो सकेगा इससे
भी
हुश्रा।
विमला अपने माता पिता की अन्तिम सन्तान थी
उससे यडे उसके चार भाई और दो यहिने २,२,३,३ साल
के होकर नहीं रहे थे। न जाने कितने टोटके, पूजा पाठ और
जप तप के बाद यह इस लड़की को किसी प्रकार जिला
सके थे।नई सभ्यताको पक्षपातिनी होने पर भी सन्तान के
लिए विमला कीमाँ ने, जिसने जो कुछ यतलाया वही किया।
विमला के गले में किसो महात्मा को बताई हुई एक तावीज़
अब तक पड़ी थी,तात्पर्य यह कि यह मातापितादोनोंही को बहुत
दुलारी थी। १५चे वर्ष में पैर रखते ही मां को उसके विवाह
की चिन्ता हो गई थी, पर चायू अनन्तराम कुछ लापरवाह से
उसे कुछ दुख