पृष्ठ:उपहार.djvu/६१

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असमंजस


"आप इतने दिन से आये क्यों नहीं केशव जी ?" सभा-मंडप से बाहर निकलते निकलते कुसुम ने पूछा।

"मैं अपने मित्र वसन्त के साथ बाहर चला गया था।" केशव ने वसन्त की ओर इशारा करते हुए जवाब दिया।

कुसुम ने वसन्त की ओर देखा फिर जरा रुकती हुई बोली-"क्या यही आपके मित्र बसन्त हैं। मैंने जैसे इन्हें पहिले कभी देखा है। कान्वोकेशन डिबेट में फर्स्ट प्राइज़ क्या आपही को मिला था"

कान्वोफेशन-डिबेट में फर्स्ट प्राइज़ जीतने वाला बसंत एक बालिका के सामने कुछ घबरा सा गया, उसका चेहरा लाल हो गया, उसने कुछ भी उत्तर न दिया।