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यहाँ जाता है। और क्यों कुरूप स्त्रियाँ वैश्या बनती हैं, जब उन्हें मालूम है कि उन्हें तो रूप के बाजार में बैठना है।--फिर अपनी रसिकता दिखाते हुए हँसने लगा।

परन्तु मैं तो आज तक यही नहीं समझता कि सुन्दरी स्त्रियाँ क्यों वैश्या बनें! संसार का सबसे सुन्दर जीव क्यों सबसे बुरा काम करे?--कहकर मंगल ने सोचा कि यह स्कूल की विवाद-सभा नहीं है। वह अपनी मूर्खता पर चुप हो गया। युवक हँस पड़ा।अम्मा अपनी जीविका को बहुत बुरा सुनकर तन गई। गुलेनार सिर नीचा किये हँस रही थी।अम्मा ने कहा—फिर ऐसी जगह बाबू साहब आते ही क्यों हैं?

मंगल ने उत्तेजित होकर कहा--ठीक हैं,यह मेरी मुर्खता है?

युवक अम्मा को लेकर बातें करने लगा, वह प्रसन्न हुआ कि प्रतिद्वन्द्वी अपनी ही ठोकर से गिरा, धक्का देने की आवश्यकता ही न पड़ी। मंगल की ओर देखकर धीरे से गुलेनिर ने कहा—अच्छा हुआ; पर जल्द--!

मंगल उठा और सिढ़ियाँ उतर आया।

शाह मीगा की समाधि पर गायकों की भीड़ है। सावन की हरियाली क्षेत्र पर और नील मेघमाला आकाश के अंचल में फैल रहीं है।पवन के आन्दोलन ने बिजली के आलोक में बादलों की हटना-बढ़ना गगन-समुद्र में तरंगों का सृजन कर रहा है।कभी फूही पड़ जाता है, समीर का झोंका गायकों को उन्मत बना देता है।इनकी इकहरी तानें तिहरी हो जाती हैं।सुनने वाले झूमने लगते हैं। वैश्याओं का दर्शकों के लिए आकर्षक समारोह है। एक घण्टे रात बीत गई है।

अब रसिकों के समाज में हलचल मची,बँदें लगातार पड़ने लगीं। लोग तितर-बितर होने लगें। गुलेनार,युवक और अम्मा के साथ आई थी। वह युवक से बातें करने लगीं। अम्मा भीड़ में अलग हो गई, दोनों और आगे बढ़ गये।सहसा गुलेनार ने कहा-आह ! मेरे पाँव में चटक हो गई,अब मैं एक पग चल नहीं सकती, डोली से आओं,वह बैठ गई। युवक डोली लेने चला।

गुलेनार ने इधर-उधर देखा, तीन तालियाँँ बजी। मंगल आ गया, उसने कहा--ताँगा ठीक है।

गुलनार ने कहा—किधर? चलो !--दोनों हाथ पकड़कर बढ़े। चक्कर देकर दोनों बाहर आ गये,ताँगे पर बैंठे और वह ताँँगे वाला कौवालों की तान-- जिस जिस को दिया चाहे' को दुहराता हुआ चाबुक लगाता घोड़े को उड़ा

२०:प्रसाद वाङ्मय