पृष्ठ:कटोरा भर खून.djvu/८३

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"मैं महाराज नेपाल का सेनापति जिस काम के लिए यहाँ भेजा गया हूँ, उसे पूरा करता हूँ। आज का दर्बार केवल दो कामों के लिए किया गया है, एक तो इस राज्य के दीवान बीरसिंह का, जिसके ऊपर राजकुमार का खून साबित हो चुका है, फैसला किया जाय, दूसरे राजा करनसिंह को अधिराज की पदवी दी जाय। इस समय लोग इस विचार में पड़े होंगे कि बीरसिंह जिस पर राजकुमार के मारने का इल्जाम लग चुका है बिना हथकड़ी-बेड़ी के यहाँ क्यों दिखाई देता है। इसका जबाव मैं यह देता हूँ कि एक तो बीरसिंह यहाँ के राजा का दीवान है, दूसरे इस भरे हुए दर्बार में से वह किसी तरह भाग नहीं सकता, तीसरे, परसों राजा के आदमियों ने उसे बहुत जख्मी किया है जिससे वह खुद कमजोर हो रहा है, चौथे बीरसिंह को इस बात का दावा है कि वह अपनी बेकसूरी साबित करेगा। अस्तु, बीरसिंह को हुक्म दिया जाता है कि उसे जो कुछ कहना हो कहे।"

इतना कह कर खड़गसिंह बैठ गए और बीरसिंह ने अपनी कुर्सी से उठ कर कहना शुरू किया:

"आप लोग जानते हैं और कहावत मशहूर है कि जिस समय आदमी अपनी जान से नाउम्मीद होता है तो जो कुछ उसके जी में आता है कहता है और किसी से नहीं डरता। आज मेरी भी वही हालत है। यहाँ के राजा करनसिंह ने राजकुमार के मारने का बिल्कुल झूठा इल्जाम मुझ पर लगाया है। उसने अपने लड़के को तो कहीं छिपा दिया है और गरीब रिआया का खून करके मुझे फँसाना चाहता है। आप लोग जरूर कहेंगे कि राजा ने ऐसा क्यों किया? उसके जवाब में मैं कहता हूँ कि राजा करनसिंह असल में मेरे बाप का खूनी है। पहिले यह मेरे बाप का गुलाम था, मौका मिलने पर इसने अपने मालिक को मार डाला और अब उसके बदले में राज्य कर रहा है। पहिले तो राजा को मेरा डर न था, मगर जब से नाहरसिंह ने राजा को सताना शुरू किया है और यहाँ की रिआया मुझे मानने लगी है तभी से राजा को मेरे मारने की धुन सवार हो गई है। नाहरसिंह भी बेफायदा राजा को नहीं सताता, वह मेरा बड़ा भाई है और राजा से अपने बाप का बदला लिया चाहता है। (करनसिंह, करनसिंह राठू, नाहरसिंह, सुन्दरी, तारा और अपना कुल किस्सा जो हम ऊपर लिख आये हैं खुलासा कहने के बाद) अब आप लोग उन दोनों बातों का अर्थात एक तो मुझ पर झूठा इल्जाम लगाने का और दूसरे मेरे पिता के मारने का सबूत चाहेंगे। इनमें से एक बात का सबूत तो मेरा बड़ा भाई नाहरसिंह देगा जिसका असल नाम विजयसिंह है और जो इसी दर्बार में मौजूद है तथा सिवाय राजा के और किसी का दुश्मन नहीं है, और दूसरी बात का सबूत कोई और आदमी देगा जो शायद यहीं कहीं मौजूद है।"