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पृष्ठ:कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ.djvu/१९४

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कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ


शेल्डन चेनी ने अपनी विस्तृत पुस्तक में हेनरी रूसो के चित्रों का उदाहरण देते हुए खासकर 'द ड्रीम' को कई बार कहा है कि रूसो की ही चित्रकला पूरी तौर से आधुनिक कही जा सकती है। 'द ड्रीम' शीर्षक चित्र बिलकुल भारतीय राजस्थानी चित्र से मिलता जुलता है, और इसी प्रकार उसके अन्य चित्र भी।

एक जगह शेल्डन चेनी ने स्वीकार किया है कि "इसमें जरा भी शक नहीं कि जिस कलातत्त्व को पूर्वीय कलाकार प्राप्त कर चुके थे वही प्राप्त करने के लिए हम अब अभिव्यंजनात्मक स्वरूपों की ओर दौड़ रहे हैं।"

"प्रत्येक साहित्यकार, कवि या लेखक अपनी अनुभूतियों को, 'विशिष्ट अनुभूतियों को' अपनी रचना के माध्यम से व्यक्त करने के लिए स्वच्छन्दता चाहता है। उसी प्रकार आज का चित्रकार अपनी 'विशिष्ट अनुभूति' अपनी रुचि या अपनी धारणा तथा सन्देश स्वच्छन्दता के साथ व्यक्त करने को उद्यत है। पहले वह समकालीन साहित्य, धार्मिक प्रचलन तथा राजकीय रुचियों का आधार लेकर चित्रण करता था। आज वह इस बन्धन से मुक्त होकर अपनी व्यक्तिगत अनुभूति को, जिसे उसने अपने जीवन तथा समाज के साहचर्य से प्राप्त किया है, व्यक्त करने के लिए स्वच्छन्द होने के लिए क्रांति कर रहा है। यही कारण है जो आधुनिक चित्रकला में विचित्र शैलियाँ, टेकनिक तथा अभिव्यक्तियाँ सामने आ रही हैं। यही आधुनिक कला की विषेशता है। चित्रकार आज अपनी विशिष्ट रुचि के आधार पर नये रूप, रंग तथा आकार प्रदर्शित करने के लिए प्रयत्नशील है।" यही बात आधुनिक कला-आलोचक अपने ढंग से स्थापित करते हैं, परन्तु इसी को वे आगे चलकर काट देते हैं और कन्फ्यूजन को स्थान देते हैं।

वे कलाकार की विशिष्ट अभिव्यक्ति के प्रयास को प्रयोगवाद का मूलाधार मानते हैं जिसमें वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रधानता देते हैं और कहते हैं "वैज्ञानिक प्रभाव के कारण संघटन तथा विघटन को कला में स्थान प्राप्त हुआ। जिन वस्तुओं को हम सदा ही एक आवयविक अखंडता में परिकल्पित करते आये उनको नयी चित्रकला ने खंडित करके नये आवयविक संघटन की नींव डाली।" यहीं पर वे अपने कन्फ्यूजन को इंगित करते हुए कहते हैं—"कहना न होगा कि इस दिशा में बहुत-सा सृजन ऐसा भी हुआ है और हो रहा है जो स्वयं सार्थकता-शून्य ही नहीं वरन् 'एक बहुत बड़े कन्फ्यूजन' का परिचायक भी है।" सचमुच यहाँ पहुँचते-पहुँचते वे स्वयं कन्फ्यूज्ड (संभ्रमित) से मालूम पड़ने लगते हैं और उनके पास कुछ कहने को नहीं रह जाता। तब वे 'पश्चिमी आधुनिक चित्रकला की विकास रेखा' नापने लग जाते हैं।