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कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ

सूक्ष्म स्वरूपों का चित्रण एक नयी क्रांति के रूप में आधुनिक कला का मूलाधार बनकर संसार भर में व्याप्त हो गया। यह कार्य कैमरे के बूते के बाहर है। इतना ही नहीं, चित्रकार यहीं से बहिर्मुख होने के बजाय अन्तर्मुख होता है और मनोविज्ञान के आधार पर सुरियलिज्म तथा एक्सप्रेश्निज्म के रूप में आधुनिक कला आगे बढ़ती है और भारतीय आध्यात्मिक प्रवृत्ति की ओर झुकाव आरम्भ होता है जिसे किसी न किसी रूप में सभी पाश्चात्य कलाकार, कला-मर्मज्ञ तथा विद्वान् मानने लगे हैं। कुछ दृष्टान्त आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं और अनेकों उपस्थित किये जा सकते हैं।

शेल्डन चेनी—"एक्सप्रेरिनस्ट का कार्य यही है कि वह रूप संघटन के द्वारा पूर्ण सत्य, सर्वव्यापी सामंजस्य और आध्यात्मिक एकता की चेतना को जाग्रत करे।" इस प्रकार कला एक जीवन-दर्शन तथा आध्यात्मिक उच्च जीवन का स्रोत बन जाती है। कलाकार जैसे-जैसे अपनी रचनात्मक शक्ति को पहचानता है, अपने को सारे संसार में व्याप्त होते देखता है और यह अनुभव करता है कि वह स्वयं दैवीय शक्ति की अभिव्यक्ति का एक माध्यम है तो वह यही स्थिति मानकर अपनी रचनात्मक शक्ति द्वारा नियति के सौन्दर्य तथा नियम के आधार पर मानवीय विकास को आगे बढ़ाता है।

हर्बट रीड—"हमें अब यह निश्चय समझ लेना है कि अब हमारा कार्य यूरोप में चित्रकला का विकास नहीं है, न कोई ऐसा विकास करना है जिसके समान इतिहास में कभी न हुआ हो बल्कि सारी परम्परा तथा मान्यताओं को तोड़कर कि कला का रूप कैसा हो यह बात समझनी है कि अब हमें बाह्य सांसारिक स्वरूपों को त्यागना है। कलाकार अपनी चेतना को अन्तर्मुखी करता है जहाँ उसे मानसिक तथा काल्पनिक चेतना का बोध होता है जैसे स्वप्न में।"

हाफमैन—"रचनात्मक कला आध्यात्मिक है और मुक्ति का अनुभव प्राप्त कराती है।"

कैनडिस्को—"कलाकार में एक अद्भुत रहस्यमय दृष्टि होती है । कला आध्यात्मिक जीवन से सम्बन्ध रखती है। जो भविष्य की आत्मा से सम्बन्धित है वह केवल अनुभूति से प्राप्त हो सकता है और इस अनुभूति का रास्ता कलाकार का कौशल है।"

पिकासो—"जब मैं कार्य करता हूँ तो मुझे जरा भी पता नहीं चलता कि मैं कैनवस पर क्या चित्रित कर रहा हूँ। जब-जब मैं चित्र बनाने लगता हूँ, मुझे ऐसा प्रतीत होता है मानों में अपने को एक महान् अंधकार में खो रहा हूँ।"

आइन्सटाइन—"मनुष्य की सबसे तीव्र इच्छा जो उसे कला तथा विज्ञान की ओर खींचती है यह है कि वह सांसारिक जीवन से किस प्रकार मुक्त हो।"