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कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ

चित्रकला मनुष्य की उस रचना को कहते हैं जिसमें मनुष्य अपनी कल्पना को अथवा किसी प्राकृतिक वस्तु या किसी भी वस्तु को रंग के माध्यम से किसी भित्ति पर उरेहता है या अंकित करता है। चित्रकला की जीवन में उपयोगिता क्या है और उसके अभ्यास के लिए हमें किस ओर विशेष प्रयत्नशील होना चाहिए, इसका ज्ञान बहुत आवश्यक है अर्थात् चित्रकला के लक्ष्य अथवा ध्येय से भी हमें पूर्ण परिचित होना चाहिए जिससे हम उसी के अनुसार कार्य कर सकें।

आरम्भ में चित्रकला प्रतिलिपि के रूप में किसी वस्तु अथवा दृश्य के अनुकरण मात्र के आधार पर की जाती थी, जैसे प्रागैतिहासिक कला के एक जंगली भैसे का चित्र। उन वस्तुओं के भी चित्र बना लिये जाते थे जहाँ किसी आकृति या दृश्य का कोई मुख्य प्रयोजन होता था और लोगों को दिखाने के लिए उसे कालान्तर तक सुरक्षित रखने की आवश्यकता प्रतीत होती थी। परन्तु आज चित्रकला केवल इन्हीं दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नहीं, अपितु साहित्य या कविता की तरह अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए भी की जाती है।

चित्रकला को भाषा

मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते सदैव इस प्रयत्न में रहा है कि वह अपनी अनुभूतियों, भावनाओं तथा इच्छाओं को दूसरे से व्यक्त कर सके और दूसरों की अनुभूतियों से लाभ उठा सके। इसके लिए उसे यह आवश्ययकता पड़ी कि वह अपने को व्यक्त करने के साधनों तथा माध्यमों की खोज तथा निर्माण करे। इसी के फलस्वरूप भाषा की उत्पत्ति हुई और काव्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला इत्यादि कलाओं का प्रादुर्भाव हुआ। ये सभी हमारी भावनाओं को व्यक्त करने के माध्यम हैं। कोई अपनी भावनाओं को भाषा द्वारा व्यक्त करता है, कोई चित्रकला द्वारा तथा कोई नृत्य द्वारा। लक्ष्य तथा आदर्श सब का एक ही है, केवल माध्यम भिन्न-भिन्न हैं। इन्हीं माध्यमों को हम उन कलाओं की भाषा कह सकते हैं। काव्य और गद्य की भाषा शब्दों, अक्षरों तथा स्वरों की है। संगीत की भाषा स्वर है। नृत्यकला की भाषा मुद्रा है और मूर्तिकला की भाषा रूप तथा प्राकार है। इसी प्रकार चित्रकला की भाषा रूप, रंग, आकार और रेखा है। जिस प्रकार काव्य का आनन्द लेने के लिए शब्दों का अर्थ जानना आवश्यक है, उसी प्रकार चित्रकला का आनन्द लेने के लिए उसमें आये हुए आकारों, रूपों, रेखाओं तथा रंगों का अर्थ जानना नितान्त आवश्यक है। शब्द का रूप सूक्ष्म है, वह केवल किसी वस्तु या भावना का प्रतीकमात्र है। उसी प्रकार विभिन्न प्रकार की रेखाएँ, प्राकार, रंग तथा रूप विभिन्न प्रकार की वस्तुओं तथा भावनामों के द्योतक है। नारंगी शब्द से एक मीठे