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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३९०

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ग्वाल
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के बांम गरे बाँह डाली है। एक एक स्वाँस ये अमोल कढ़े
जात हाय लोल चित यहै ढोल फोरत उताली है॥ ग्वाल
कवि हाय तू विचारै वर्ष बढ़े मेरे एरे! घटे छिन छिन आयु
की बहाली हैं। जैसे धार दीखत फुहारे की बढ़त आछे पाछे
जल घटे हौज होत आवे खाली हैं॥२॥

पूर्वी भाषा

मोरपंखा सिर ऊपर सोहै अधर बसुरिया राजत बाय।
गाय बजाय नचावे अँखियन करिया कमरी साजत बाय॥
ग्वाल लिये सँगघाट बाट में छरा छुइ मोर भाजत बाय।
हाथ ननदिया का करिहौं मैं कहत बात जिय लाजत बाय॥३॥

गुजराती भाषा

तुम तौ कहो छो छैंया मोटो ऊधमी छै म्हारी मटकी
मठानी ढुरकावा तो निदान छै। सो तो म्हने जानयूँ तमें
सगली जु भाषों झूँठ दीधी म्हने सीख मस्ती मोटी पहचान
छौ॥ ग्वाल कवि साने एवा चरित रचो छौ तमे सगली थई
छौ गेलो अड़को मा आन छै। घेर माँ रमे छै हवणाँ तौ
दीकरान माहें तमतें सुँ दोस मोकलावा वाला जान छै॥४॥

पंजाबी भाषा

जेड़ी थ्वांड़े चित्त बिच्च भाँउदी है आँउदी है ओहो तुसाँ
करणाधिगाणे कानू कस्स दे। साडी खुशी ये हो आप आराँ
दी खुशी दे बिच्च जेही चाहो तेही करो नेही कानू नस्स दे॥
ग्वाल कवि होऊ करमाँ दा लिख्या लेख जेडा साडी बल्ल
नैना नू पियारे रख्यो हंस्स दे। छल्लरल्ली गल्लाँ थ्वाँडी सोंहणी
नहूँ दी श्याम सिद्धी गल्ल साड्डे नाल क्यूँ कर न दस्स दे॥५॥