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पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२४६

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(२२९)

यह आश्चर्य की बात सुनकर दूसरो को हँसी आवेगी कि श्रीकृष्ण तो चन्दन लगाते है और उससे मेरा हदय शीतल होता है।

उदाहरण---५

सोरठा

दिये सोनारन दाम, रावर को सोंनों हरौ।
दुख पायो पतिराम, प्रोंहित केशव मिश्रसों॥१३॥

रनिवास का सोना तो पतिराम सुनार ने चुराया और दाम दूसरे सुनारो को दण्ड स्वरूप देने पड़े। राजा का अधिक प्रेम तो केशव मिश्र पर है, दुख पतिराम सुनार को होता है।

(उक्त दोनो दोहो तथा सोरठे मे और के गुणदोष से और के गुणदोष का वर्णन है अत: व्याधिकरणोक्ति अलंकार है)

४---विशेषोक्ति

दोहा

विद्यमान कारण सकल, कारज होइन सिद्ध।
सोई उक्ति विशेषमय, केशव परम प्रसिद्ध॥१४॥

'केशवदास' कहते है जहाँ सभी कारणो के रहते हुए भी कार्य की सिद्धि न हो, वही परम प्रसिद्ध विशेषोक्ति है।

उदाहरण (१)

सवैया

कर्ण से दुष्ट ते पुष्ट हुते भट, पाप और कष्ट न शासन टारे।
सोदरसैन कुयोंधन से सब, साथ समर्थ भुजा उसकारे॥
हाथी हजारन के बल केशव, खैचि थके पट को डरडारे।
द्रौपदी कों दुशासन पै तिल, अंग तऊ उघरयों न उघारे॥१३॥