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पृष्ठ:कवि-रहस्य.djvu/९

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प्रकाशकीय

हिंदुस्तानी एकेडेमी की ओर से समय समय पर विविध विषयों पर व्याख्यानमालाओं का आयोजन किया जाता रहा है । प्रस्तुत विषय पर १९२८-२९ ई० में डा० गंगानाथ झा ने व्याख्यान दिए थे जिनको संग्रहीत कर पुस्तक रूप में एकेडेमी ने प्रकाशित किया था । उसका पुनर्मुद्रण पाठकों के सामने है ।

स्व० डा० गंगानाथ झा की मृत्यु के पश्चात उनके गहन अध्ययन उनकी प्रकांड विद्वत्ता और उनके विशाल व्यक्तित्व का अभाव आज तक पूरा नहीं हो सका है । प्राचीनतम संस्कृति और पुरातन विद्याओं में उनकी सूक्ष्मगति थी । आज की सांस्कृतिक और शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं पर उनके अपने मौलिक विचार थे । उन्होंने अपने समय में उत्तर भारत में शिक्षा सम्बन्धी प्रगति में जैसा सक्रिय सहयोग दिया था वह चिरस्मरणीय है ।

प्रस्तुत पुस्तक में पूर्व मध्यकालीन कवि की शिक्षा दीक्षा और उससे संबंधित कथाओं, किंवदंतियाँ और परम्पराओं का विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण है । पुस्तक के प्रत्येक स्थल पर उनके गहन अध्ययन और गम्भीर चिंतन की छाप है ।

हिंदुस्तानी एकेडेमी
धीरेन्द्र वर्मा
 
उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद
मंत्री तथा कोषाध्यक्ष
 
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