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कहानी की पृष्ठभूमि जानने में सुविधा होगी।
आचार्यजी की कहानियों को साधारणतया इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-मुगल-कालीन, बौद्ध-कालीन, ऐतिहासिक, राजपूती, सामाजिक, समस्या-प्रधान, राजनीतिक, वीरता-प्रधान, भाव-प्रधान, प्रेम-प्रधान, कौतुकप्रधान और पारिवारिक।
हमारा विश्वास है कि यह पुस्तकमाला हिन्दी-साहित्य के एक प्रभाव का पूरक होगी एवं विद्वानों, कथा-साहित्य के विद्यार्थियों तथा रस के इच्छुक पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।