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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१०

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कांग्रेस की बाबत एक अङ्गरेज़

विद्वान की राय ।

मि० स्विनी सन् १९०२ ई० में, जब कांग्रेस की बैठक अहमदाबाद में हुई घो तय उसमें वे उपस्थित थे । कांग्रेस की बावत श्रापने अपनी यह राय प्रगट कीः-

"कांग्रेस को देख कर में बहुत प्रसन्न हुआ । एंग्लो-इण्डियन लोग कहा करते हैं कि कांग्रेस में राजनैतिक विषयों को जानने वाले कोई प्रभावशाली पुरुष नहीं हैं। परन्तु यह उनका मिथ्या प्राक्षेप है । मैंने कांग्रेस में चारों दिन हाज़िर रहकर उसकी कार्रवाई स्वयं अपनी आखों देखी है । मैं निश्चय पूर्वक कह सकता हूं कि ये लोग अपना काम उत्तम रीति से करते हैं। अंगरेज़ी भाषा में व्याख्यानों को सुन कर मुझे तो यही मालूम होता था कि वे लोग अपनी मातृभाषा में वक्तृता दें रहे हैं। यहां प्रत्येक प्रान्त और प्रत्येक जाति के प्रतिनिधि उपस्थित थे । उत्तर भारत के विद्वान पण्डित, अंगरेज़ी विश्वविद्यालयों के ग्रेजुएटों के माथ साथ बैठे थे; हिन्दू मुसलमानों के साथ साथ बैठे थे; मराठे, बंगाली, पंजाबी, गुजराती और मदरासी लोग एक स्थान में परस्पर भेंट करते हुए दिखलाई पड़ते थे । नेटियक्रिश्चियन और ज्यू ( यहूदी ) डाकूर, पारसी और मुसलमान व्यापारी भी वहां थे । वास्तविक में यह एक ऐसा स्थान है कि जहां भारत के भिन्न भिन्न प्रान्तों के स्वराज्य सम्यधी विषयों पर विचार करने वाले सब लोग एकत्रित हो सकते हैं। इससे इस देश की राज्य सम्बन्धी जन सम्मति प्रवल होने की सम्भा यना है ।"