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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१०७

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यायू लालमोहन घोप। । से, देण्टफई के लिवरल दल ने भाप के साथ सहानुभूति प्रगट की। काले लोगों को पार्लियामेंट में बैठने के लिए जगह दिलाने का सबसे पहले हेप्टफाई वालों को यश प्राप्त हुआ। परन्तु इस यश का मान सेन्ट्रलफिस- बरो बालों को प्राप्त हो, ईश्वर को ऐसी इच्छा थी; जिसके कारया उन विचारों ने जो श्रम घोप महोदय के लिए किया वह सुफल नही हुआ। बाल लालमोहन घोप सामियाव न हुए । इसका वर्णन मापने जब आप बम्बई वापस आए तम्र इस प्रकार किया। "उस समय था वर्णन करने को मेरी मति मन्द हो गई है। उसका वर्णन मैं किस प्रकार, किन शब्दों में कर; यह यात मेरी समझ में नहीं पाती। चारों ओर निशाना टीक लगा था। भारत और इंग्लेण्ड दोनों देशों के प्रतिनिधि रास्ते में एक दूसरे से हाथ मिलाते थे। कान्सरवेटिव लोग, लोगों मे कहते थे कि "हिन्दू के लिए राय मत दो, अपने स्वदेश बान्धवों के लिए राय दो" । दो ८० वर्ष के युद्ध पुरुषों ने मेरे पक्ष में राय दी थी। इस पर लोगों सनसे पूछा, कि तुमने मिष्टर घोष के पक्ष में क्यों राय दी? यह सुन कर उन दोनों युद्धों ने जवाब दिया कि 'तुम उनको काला कहते हो इसी कारगा हमने उनके पक्ष में राय दी। उस समय मेरे पक्ष में ३५६० रायें एकत्रित हुई ी । लोगों को भाशा होने लगी थी कि मैं ज़रूर मेम्बर हो जाऊंगा। परन्तु आयरिश मेम्बरों ने ठीक समय पर धोखा दिया । मिष्टर पार्नेल ने खुद अपना दस्तख़ती नोटिस चार दिन पहले इस या. बत निकाला कि लिवरल उम्मेदवारों के पक्ष में राय न दी जावे। देप्टफर्ड निवासियों की कृपा और सहानुभूति की बात बायू लाल - मोहन घोष को अब तक याद है । प्राप उन लोगों की सहानुभूति के कारण अपनी कृतज्ञता सदैव प्रगट करते हैं। अंगरेज़ लोग स्वयं गुणी हैं -गुणियों की फ़दर करना भी वे लोग खूब जानते हैं । नहीं तो अपने देश यान्धवों को छोड़ कर लाल मोहन घोप.के लिए राय कौन देता ! इसके बाद आपने फिर विलायत जाकर, मेम्यर होने का पुनः उद्योग मही किया। क्योंकि यह बड़े खर्च का काम है। अब पाप की समर करीय करीब ५३ वर्ष के है तो भी आप कुछ न कुछ देश हित का काम किया