सर हेनरी काट्न । 1 निर्गुणेप्वापि सत्त्वेषु दयां कुर्वन्ति माधवः । नहि संहरते ज्योत्स्नां चन्द्रश्चाण्डालवेश्मनि ॥* रहेनरी काटन का जन्म, १३ सितम्बर सन् १८४५ को तंजोर के स कुम्भ कोतम गांव में हुआ । उस समय आपके पिता तंजोर जिले में नौकर थे । काटन महोदय के वंश का भारत से बहुत पुराना सम्बन्ध है । प्रथम काटन का नाम, जो इस देश में पठारहवीं सदी के मध्य में प्राए, कप्तान जोज़फ़ काटक था। वे प्राद्वाईस वर्ष तक कम्पनी सरकार की नौकरी करके, इसी कम्पनी के डाइरेकर हो गए। जान काटन 'नाम का उनका एक पुत्र सन् १८०० ईसवी में, यहां प्राया। उन्होंने तंजोर में पन्द्रह वर्ष तक फलेकर का काम किया। पेन्शन पाने के घाद वे भी कम्पनी के डाइरेकर बना दिए गए। उस समय भारत में, लार्ड एलिन. वरो गवर्नर जनरल थे। उनकी राजनीति से कोई भी प्रसन्न न था । प्रतएव जान काटन के उद्योग से, उन्हें शीघ्र ही अपना पद त्याग करना पड़ा । उस समय के ऐंग्लोइंडियन प्रेस (भारतवर्ष से प्रकाशित, अगरेजों के अखबार) ने उन पर बड़ी ही तीक्षण आलोचना की । जान काटन पर अख़बारों ने खूब गालियों की वर्षा की। मि० जान काटन के पुत्र जोजे फ़ मान काटन ने, मदरास की सिविल सर्विस में, सन् १८३१ में प्रवेश किया। और वहीं मदराज प्रांत में हमारे चरित्र नायक सर हेनरी काटन का जन्म हुमा । काटन साहय के एक और भाई हैं। वे भी भारत के सम्बन्ध में बहुत प्रसिद्ध हैं। उन्होंने English citizen series में भारतवर्ष पर एक अति उत्तम ग्रन्थ लिखा है। Rulers of India serirs में मांटस्टुअर्ट एल्फिन्स्टन का जीवन चरित्र भी उन्हीं का लिखा हुआ है। इस देश
- निर्गुणी पर भी साधु जन दया करते हैं । चन्द्रमा अपनी चांदनी
घा गहाल के घर से नहीं भकोड़ लेता