को श्रेष्ठों की आज्ञा उल्लंघन करते हुए अघया असभ्यता का बर्ताव करते स्कूल और कालिज के यहुतसे विद्यार्थी राजनैतिक विषयों की चर्चा कभी कभी सरकार भी इस उपयोगी चर्चा का विरोध करती है शीर अपने स्कूल तथा कालिजों को विद्यार्थियों को राजनैतिक विषयों की • चर्चा में शामिल होने नहीं देती। इस विषय पर काटन महोदय की "मैं इस बात को कदापि भूल नहीं सकता कियरोप की जन सम्मति 'अतएव यह कुछ आश्चर्य की बात नहीं है कि इस देश के विद्यार्थीगण भी अपने देश के उपयोगी विविध विपयों की चर्चा करें। और सर्व साधा. रसा की सम्मति को द्रढ़ करने में सहायता देवें। यदि कोई किसी शान्दो लन की नींद्र द्रढ़ करना पाहे और उसको बहुत दिनों तक फायन रक्ता जिनमें युवावस्था की पूर्ण शक्ति और उत्साह हो। राजनैतिक विषयों पर करना हो तय मन में धैर्य रपसो, अपने उत्साह और निश्श्य का मगर होने दो । स्मरण रपटो कि, इस मंसार में बिना उत्साह और उद्योग के, कोई महत्कार्य नदी किया जा सकता ।" काटन महोदय के इस कथन पर हम लोगों को बहुत विचार करना धादिए । भाजकल हमारे स्कूलों में जो शिक्षा दी जाती है उसके द्वारा फाटन महोदय को बताई हुई फामगा कहां तक पूरी हो सकती है। अतएव सरकारी स्कूलों मघया कालिगों की शिक्षा का उलाहना न देकर हमें अपनी गृह-शिक्षा सुधारना चाहिए। जिसके द्वारा हमारे बालको के प्राधरणों पर अच्छा असर पड़े। अब कभी हम अपने यहां के युवक हुए देखें तय हमको यही समझना चाहिए कि यह दोष केवल शिक्षा प्रणाली का नहीं है, किन्तु उन युवकों के माता पिता और उनके पालन करने वालों का है कि जिन्होंने अपने लड़कों को घर में उचित शिक्षा नहीं दी। में मन लगाया करते हैं। कोई कोई इस यात को बुरा समझते हैं। सम्मति ध्यान में रखने योग्य है:- ( public opinion ) में अधिकांश विद्यार्थियों का सम्बन्ध रहता है। 'चाहे तो उसको केवल उन्हीं लोगों की सहायता 7 कि लेनी चाहिए
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