जस्टिस बदरुद्दीन तय्यय जी । २९ - करने लगे तय माप को भारतीय प्रजा की ओर से सम्मान देने की बारी माई । कांग्रेस के काम के साथ माप को पूरी २ सहानुभूति थी । कांग्रेस के हर एक काम और प्रस्ताव को भाप यही आदर की दृष्टि से देखते घे। कांग्रेस के मतों का प्रचार करने में प्राप दत्तचित्त से लगे रहते थे। अतएय ऐसे देश हितेपी, विद्वान और कांग्रेस भक्त को समापति बनाने का लोगों ने प्रस्ताय किया । यही सुशी के साथ सघ लोगों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया । और सन् १८८८ में जो कांग्रेस की बैठक मदास में हुई लोगों ने प्राप को उसका सभापति पनाया। यहां पर सभापति के नाते से आपने जो व्याख्यान दिया यह बहुत ही मनोहर था । सय लोगों ने उसे बहुत ही पसन्द किया। यदरुद्दीन तय्यय जी का काम अपनी जाति यालों की ओर भी खूध रहता या प्रापफा विचार है कि हमारे धर्मयंधु मुसलमान लोग हर एफ यात में सय से पीछे हैं। उनको हर प्रकार की सहायता मिलनी चाहिए । उनको योग्य शिक्षा मिलना चाहिए। इस यात की चिन्ता रात दिन आप को बनी रहती थी। इस के लिए वे सदैव प्रयत्न भी किया करते थे। भाप के प्रयव और परिश्रम का फल भी कुछ न कुछ निकला है। "अंजुमन-इसलाम" के द्वारा यहुत से मुसलमान भाई विद्या पाफर विद्वान् हुए हैं। इसी की सहायता से यकील, बैरिस्टर, और एम० ए०, बी० ए० बहुत से मुसलमान भाई दिखाई पड़ने लगे हैं। यह सब केवल बदरुद्दीन तय्यय जी की ही कृपा और परिश्रम का फल है । विद्या-दान की ओर भाप का कितना ध्यान था यह यात विचार करने योग्य है। जिस प्रकार प्रजा ने भाप को कांग्रेस का सभापति बनाकर प्राप का श्रादर किया उसी तरह सरकार ने भी आप के गुणों की फदर की। कुछ दिनों तक सरकार ने आप को यम्बई हाईकोर्ट का जज नियत किया। इस काम को भी आप ने यही योग्यता के साथ घलाया।आप के काम से सरकार और मजा दोनों सन्तुष्ट रहे। भारतवासी न्यायाधीश का काम किस प्रकार उत्तम रीति से करते हैं यह यात आपने करके - दिखला दी। A
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