पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/७२

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कांग्रेस-चरितावली। करते हैं। जातीय द्वेष को प्राप अपने पास नहीं फटकने देते । हमारे मुसलमान भाइयों में तय्यय जी और सयानी महोदय ये ही दो राष्ट्र हित के नाते से भूषण हैं। विद्या और देश हित इन दोनों विचारों से आप सारे मुसलमान भाइयों में अग्रगण्य गिने जाने योग्य हैं। भापका राष्ट्र हित में सहायक हीना देश के लिए भूपण है। आप अपने जाति- बांधवों को सदैव यही उपदेश दिया करते हैं कि वर्तमान समय में जो शिक्षण पद्धति जारी है उस के अनुसार उसे प्राप्त करके लाभ उठाना चाहिए । भाप के उपदेश से बहुत से लोग लाभ उठा रहे हैं । हमारे देश के सुशिक्षित विद्वान लोगों का यही कर्तव्य है कि उपदेश द्वारा और अपने बर्ताव, व्यवहार और कर्तव्य कर्म करके स्वयं आदर्श बन कर लोगों को दिखला देना चाहिए कि ऐसा वनो और ऐसा काम इस प्रकार करो । बिना स्वयं नमूना बने कभी किसी की बात का पूरा पूरा असर नहीं पड़ता। जैसा लोगों को उपदेश दिया जावे वैसा ही कर्म करके लोगों को बतलाया जावे तो लोग उसका मान भी करते हैं, और स्वयं उस पर चलते भी हैं। इसी से देश का कल्याण होता है। सयानी साहब के गुणों पर मोहित होकर सब लोगों ने प्राप को सन् १८९६ में कांग्रेस का सभापति धुना । उस साल कलकत्ते में कांग्रेस की बारहवीं बैठक हुई थी। लोगों के कहने पर आपने कांग्रेस का सभापति होना स्वीकार किया। उस साल कांग्रेस में जो आपने व्याख्यान दिया था। यह बहुत ही उत्तम था। नापने कांग्रेस के उद्देश्यों को थोड़े से शब्दों में सूत्रों के तौर पर इस प्रकार वर्णन किया । में १-हम सब भारत माता की सन्तान हैं । अतएव सब को आपस प्रेम-पूर्वक बर्ताव करना चाहिए। २-भारत की हर एक जातियों में मित्र भाव उत्पन्न हो और यह दिनों दिन येढ़ता जावे । ऐसा प्रयत्न हम सयों को करना चाहिए। ३-सासकर, भारतवर्ष के हित के लिए हर एक जाति के मुखि- याओं में जो मत-भेद फैला हुना है उस के मिटाने का प्रयत्न होना चाहिए। 1