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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/७७

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मि० सी० शंकरन् नाम्पर बी० ए० बी० एल०। कारण ही प्रापको हानि उठाना पड़ी। परीक्षक की लापरवाही से प्राप पास नहीं हुए, परन्तु इस बात की आपने कुछ भी परयाह न करके अपना अध्ययन जारी रक्ता और दूसरी साल पास हो गए। इसके बाद मापने एफ० ए० की परीक्षा दी। इसमें आप प्रवल दर्जे में पास हुए। इस साल पापको एक अच्छी नौकरी मिलती थी । परन्तु भापके पिता ने इनकार कर दिया और इन्हें बी० ए० में पढ़ने की प्राधा दी । आपने पिता की प्राजानुसार मदरास के प्रेसि- डेंसी कालिज में जाफर पढ़ना प्रारम्भ किया। इस कालिज में नाम्यर ने भच्छा नाम पाया। जिस समय आप यहां पढ़ते थे उस समय उस कालिज में मिस्टर टामसन प्रिन्सिपल थे। टामसन साहय आप को बहुत ही चाहते थे । सन् १८७० में भाप ने यी० ए० पास किया। इस परीक्षा में मापने अपने सहपाठियों में सय से ऊंघा नम्बर पाया। बी०ए० पास होने के याद ही भाप ने फ़ानून पढ़ने का प्रारम्भ कर दिया । इतिहास में आप को अधिक रुचि थी; अतएय उस का विशेष उपयोग करने का भब भाप को मीका आया । कानून पढ़ने में इतिहास ने आप को यहुत सहायता पहुंचाई । कुछ दिनों के बाद आपने यी० एल० की परीक्षा पास की। इस परीक्षा में भाप सब से अब्बल रहे । इस अद्वितीय विद्या विजय के कारणा विदेशी विद्धज्मनों के विधार शील विमल पदय विलक्षणा मानन्द के विकारों से मानों कमल की तरह विक- सित हो गए। उन्होंने शंफरन् नाप्पर के पिता से बहुत कुछ अनुरोध किया कि वे नाय्यर महोदय को सरकारी नौकरी करने की आज्ञा दें। परन्तु वे इस विचार से सहमत नहीं हुए। उन्होंने अपने मित्रों की सलाह से शधारन् को एक यैरिस्टर के पास कानून का मनन और उस .. को उपयोग में लाने की क्रिया सीखने के लिए भेज दिया, जिससे कि घे हाईकोर्ट में वकालत करने के योग्य हो जाये । घेरिस्टर के पास शंक- रन ने कुछ दिनों तक काम सीखा और सन् १८८० में मापने अपना माम मदरास हाईकोर्ट के वकीलों की फेहरिस्त में लिखवाया। वकालत करने का गौभाग्य भापको कई एक सप्ताह तक ही प्राप्त हुमा । सरकार ।