और सूरजसिंह मे दोस्ती थी उसी तरह रामसिंह अरे हरनन्नामे (जिसकी शादी होने वाली थी) सच्ची मित्रता थी और आज की महफिल में वे दोनो ही बाप-बेटा मौजूद भी थे।
रामसिंह और हरनन्दनसिंह दोनो मित्रवर्ड ही होशियार, बुद्धिमान, पडित और वीर पुरुष थे और उन दोनो का स्वभाव भी ऐसा अच्छा था
कि जो काई एक दफे उनस मिलता और बातें करता वही उनका प्रेमी हो। जाता। इसके अतिरिक्त वै. दोनो मित्र सूबसूरत भी थे और उनका सुडौल तथा कसरती बदन देखने ही योग्य था ।
जब कल्याणसिंह की घबराहट्ट का हाल लोगो को मालूम हुआ और महफिल मे खलबली पड गई तो। सूरजसिंह और हरन दन भी कल्याण- सिंह के पास जा पहुचे जोदु सित हृदय से उसापिटारे के पास बैठे हुए थे जिसमे खून से भरे हुए शादी वाले जनाना कपडे निकले थे। थोड़ी ही देर मे वहा बहुत से आदमियो की भीड हो गई जिह सूरजसिंह ने बडी बुद्धिमानी से हटा दिया और एकात हो जाने पर कल्याणसिंह से सब हाल पूछा । कल्याणसिंह ने जो देखा था या जो कुछ हो चुका था बयान किया
और इसके बाद अपने कमरे में ले जाकर वह स्थान भी दिखाया जहा पेटारा पाया गया था और साथ ही इसके अपने दिल का शक भी बयान किया। हरन दन को जब हाल मालूम हो गया ता वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया और आरामकुर्सी पर बैठ कुछ सोचने लगा। उसी समय कल्याणसिंह के समधियाने से अर्थात् लालसिंह के यहा से यह खबर मा पहुंची कि 'सरला' (जिसकी हरनदन से शादी होने वाली थी) घर मे से यकायक गायब हो गई और उस कोठरी मे जिसमें वह थी सिवाय खून के छीटे और निशानो के और कुछ भी देखने में नहीं आता।
यह मामला नि सन्देह बहा भयानक और दुःखदाई था। बात की बात में यह खबर भी बिजली की तरह चारो तरफ फैल गई। जनानो मे रोना- । पीटना पड गया। घण्टे ही भर पहिने जहा लोग हसत-खेलते घूम रहे थे अब उदारा और दुखी दिखाई देने लगे। महफिल का शामियाना उतार लेने वाद गिरा दिया गया। रडियों को कुछ दे दिला कर सवेरा होने के