पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/४९

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काजर की काठरी 49 यहा तर मि उम अपन-पराय बी मुहबत का भी कुछ सयाल नहीं रहता और वह दुनिया भर को अपना दुश्मन समनने लगता है। अगर सूने मेरे बारे मे घुछ शर दिया तो यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है। सरला मगर नहीं, अब मुझे तुम पर किसी तरह का शव न रहा दिन तुम यह बताओ पि आसिर हुआ क्या ? पारम० वास्तव मे मैं चाचाजी वीआजानुसार तुपे बाहर पीतरप न चला था, मगर मुझे इस बात की क्या पवर यो वि देवजि ही पर दम- बारह दुष्ट मिल जायगे। मरला. तब क्या मेरे पिता ही न ऐसा किया और उहाने ही इन दुग को दर्वाने पर मुस्तंद वरखे मुझे उस रास्ते से बुलवाया था? पारस० हरे हरे हरे । वे बेचारे तो तरे बिना मुर्दे से भी बदतर हा रह है । जब से तू गायब हुई है तब से उनका ऐसा बुरा हाल हो गया है कि मैं कुछ बयान नहीं कर सकता। मरला तब यह सन बसेडा हुआ ही वसे' पारम० जब वे लोग तुर्य जवदस्ती उठा कर घर से बाहर निकले ता मैंन उनका पीछा किया मगर दर्याने ये बाहर निकलते ही उनमे से एक आदमो ने घूमर र मुगे ऐसा लट्ठ मारा कि चक्रर सारर जमीन पर गिर पहा और दो घण्टे तक मुझे तनोबदा की सुध न रही । आखिर जब मैं होश म आया तो धीरे-धीरे चलपर चाचाजी के पास पहुंचा और उनसे सब हाल कहा। बस उसी समय चारो तरफ रोना-पीटना मच गया, पचासो आदमी इधर-उघर तुम्ह सोजने लिए दौड गए, तरह-तरह की वारवाइया होने सगी । मगर सब व्यथ हुआ, न ता तुम्हारा ही पता लगा और उन दुष्टों ही की कुछ टोह लगी। यह खबर तुम्हारे ससुराल वाला को भी पहुंची और वहाँ भी खूब राना-पीटना मच गया। मगर हरनदन पर इस घटना का कुछ भी असर न पहा और वह महफ्ति मे से उठार बादी रण्डी के हेरे पर चला गया जो उसने यहा नाचने के लिए गई थी। सब लागो ने उसे इस नादानी पर शमिदा करना चाहा तो उसने लोगो को ऐसा उत्तर दिया कि सब कोई अपने काम पर हाय रखने लगे और उसका बाप भी उससे बहुत रज हो गया।