वाला सो कदम जाए तब तक वह बत्तीस कदम स ज्यादै न जाएगी। बार कामोमिम मजेदार बदली खायी हुई,मरक के दोनों तरफ दूर-दूरधक हरे- हरे पान वे मत दिखाई द रहे है पडा पर से पपीहे की आवाज आ रही है, से समय म नहीं बल्कि चार चार नौजवान, हसीन और मदमाती रण्डियो का शान्त रहना असम्भव है, इसी से इस समय इन सभा वा ची. पा करती हुइ जान वानी गादी पर बैठे रहना पुरा मालूम हुआ और व सब उतर कर पैदल चलने लगी और बात-चीबात में गाडी से कुछ दूर आगे बढ़ गइ । गाडी चाहे छूट जाय मगर सपरदा क्व उनकापीछा छोडन लगे थे ? पैदल वान Tफरदा उनके साथ हुए और हमते-बोलले जाने लगे।
थाडी ही दूर जान पे बाद इहोने देखा कि सामन एक मवार सरपट घाडा के इसी नरफ आ रहा है। जब वह बोडी दूर रह गया तो इन रण्डिया को देख कर उसने अपने घोड़े की चाल कम कर दी और जव उन चारों छवीलियों के पास पहुचा तो घोडा राबवर खडा हो गया। मालूम होता है कि य चारा रण्डिया उस आदमीको बखूबीजानती औरपहिवानती थी क्योकि उसे देखते ही वे चारोहस पदी और छबीली जो सबसे कमसिन और हसीन थी ढिठाई के साथ उसके घोडे की बाग पकड पर खडी हा गई और बोली 'वाह वाह | तुम भागे कहा जा रहे हो ? बिना तुम्हार मोती
'मोती' का नाम लिया ही था कि सवार ने हाय रे इशारे से उस रोका और कहा, 'बादी । तुम्हे हम बेवकूफ बह या भाली?" इसके बाद उस सवार ने सफरदाओ पर निगाह डाली और हुकमत वे तौर पर कहा, तुम लोग आगे बढ़ा।
अवता पाठक लाग समझ ही गए होग वि उस छबीली रण्डी कानाम बादी था जिमन ठिाई के साथ सवार के घोडे की लगाम शाम ली थी और बारा गरियो म हसीन और खूबसूरत थी। इसी कोई बावश्यकता नहीं विबाकी तीन रडिया का नाम भी इसी समय बता दिया जाए, हा उम मवार की मूरत शक्ल का हास लिख देना बहुत जरूरी है।
मवार की अवस्था लगभग चालीस वप की होगी। रग माला, हाथ- पर मजवती और कमरत जान पड़ते थ। बाल स्याह छोटे छोट मगर