पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गाजर की कोठरी 67 7 बादी कम्बस्त दो घण्टे से मगज चाट रहा था। हरनदन मेरा जिन तो आया ही होगा? बादी मला इसका भी कुछ पूछना है। हरनन्दन क्या-क्या कहता था बादी बस वही सरला वाली बातें, मैंने तो उस कम्बख्त से कई दफे यहा कि अब हरन दन बाबू सरला से शादी न करेंगे, मगर उसको विश्वास ही नहीं होता और विश्वास न होने का एक सबव भी है। हरन दन वह क्या ? बादी तुमने चाहे अपन दिल से सरला को भुला दिया है, मगर सरता ने तुम्हें अभी तक नहीं भुलाया। हग्नादन इसका क्या सबूत मादी इसका सबूत यही है कि वह (पारसनाथ) कैदी बन कर उस कैदखान मे गया था जिसमे सरला पंद है और सरला को कई तरह से समझा-बुझा पर दूसरे के साथ व्याह करने के लिए राजी करना चाहा था, मगर उसने एक न मानी। हरनन्दन (ताज्जुब के ढग से) हा । उसने तुमसे खुलासा कहा कि किस तरह से सरला के पास गया और क्या-क्या बातें हुई ? बादी जी हा, उसने जो कुछ कहा है मैं आपको बताती है । इतना कहबर बादी न वह हाल जिस तरह पारसनाथ से सुना था उसी तरह बयान किया जिसे सुन कर हरनदन ने कहा, 'अगर ऐसा है तो मुझे भी कोई तरकीब करनी चाहिये जिससे सरला के दिल से मेरा खयाल जाता रहे।" बादी इसस बढ़ कर और कोई तीब नहींहो मकती कि तुम उसे कैद से छुडा कर उसके साथ व्याह वर लो। मैं इस काम मे हर तरह से तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हू बल्कि उसका पता भी करीब-करीव लगा चुकी हू । दो ही एक दिन मे बता दूगी कि वह कहा और किस हालत मे है, साथ ही इसके मैं यह भी खुदा को कसम खाकर कहती है कि मुझे इस बात का जरा भी रञ्जन होगा, बल्कि मुझे एक तरह पर खुशी होगी, क्योकि मेरा दिल घडी-पडी यह कहता है कि सरला जब इस बात को जानेगी कि