78 वाजर की कोठरी वो जो कुछ है पढ ला और हमारे इन दोस्ता का भी सुना दो। हरिहर० (चिट्ठी पढ बर)वस बम पस, अब हमारा काम हो गया। जब उसने सायास ही ले लिया तब उस अपनी जायदाद पर किसी तरह का अधिकार न रहा और न वह किसी तरह का वसीयतनामा ही लिख सकता है, ऐसी अवस्या में केवल सरला की शादी ही किसी दूसरे के साथ हो जाने से काम चल जायेगा और किसी को किसी तरह का उच्च न रहेगा। मगर एक बात की पसर जरूर रह जायगी। पारस० वह क्या? हरिहर. यही वि शादी हो जाने के बाद सरला अपने मुह से किसी बड़े बुजुग या प्रतिष्ठित आदमी के सामने कह दे कि "यह शादी मेरी प्रसन्नता से हुई है।' पारस० हा यह बात बहुत जरूरी है मगर मैं इसका भी पूरा-पूरा बन्दोबस्त कर चुका है। हरिहर. वह क्या? पारस० बादी ने इस काम के लिए एक बुड्ढी खन्नास को ठीक कर दिया है । यह सरला को दूसरे के साथ शादी करने पर राजी कर लेगी। हरिहर० मगर मुझे विश्वास नहीं होता कि सरला इस बात को मजूर कर लेगी या किसी के कहने-सुनने मे आ जायगी। उस रोज खुद तुम्ही ने सरला से बातें करके देख लिया है। पारस० ठीक है, मगर उसके लिए बादी की माने जो चालाकी सेली है वह भी साधारण नहा है। हरिहर० सो क्या पारस० उसने हरन दन से एक चिट्ठी लिखवा ली है कि 'मुझे सरला के साथ शादी करना स्वीकार नहीं है। जो नौजवान और कुवारी लडकी घर से निकल कर कई दिन तक गायब रहे, उस साथ शादी करना धम- शास्त्र के विरुद्ध है, इत्यादि।' इसके अतिरिक्त हरनदन ने उस चिट्ठी मे और भी ऐसी कई गन्दी बातें लिखी हैं जिह पढते ही सरला भाग हो जायगी और हरनन्दन का मुह देखना भी पसदन करेगी। हरिहर० अगर हरनदन ने ऐसा लिख दिया है वो बहना चाहिए
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