पृष्ठ:कामना.djvu/१०३

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कामना
 

सन्तोष-सुखी। मै सबसे सुखी हूँ-मेरी एक ही अवस्था है। दुःखों की बात उनसे पूछो, तुम्हारी राज्य-कल्पना से जिनकी मानसिक शुभेच्छा एक बार ही दब गई है। जिन पर कल्याण की मधु-वर्षा नहीं होती, उन अपनी प्रनाओ से पूछो, और पूछो अपने मन से।

कामना-जाओ सन्तोष, मुझे और दुखी न बनाओ

(सिर झुका लेती है)

सन्तोष-अच्छा रानी, मै नाता हूँ। (जाता है)

कामना-(कुछ देर बाद सिर उठाकर) क्या चला गया-

(दासी पात्र लिये आती है, और सखियाँ जाती हैं)

१-रानी, मन कैसा है?

२-मैं बलिहारी, यह उदासी क्यों है?

कामना-यह पूछकर तुम क्या करोगी?

१-फिर किससे कहोगी?

२-पगली! देखती नहीं? स्त्री होकर भी नही जानती, नहीं समझती।

१-रानी, देश में अन्य बहुत-से युवक हैं।

कामना-तो फिर?

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