पृष्ठ:कामना.djvu/१४६

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उन्हीं की सुन्दर कविताओं का इस पुस्तक में संकलन किया गया है। पावन प्रसंग, जीवन-स्रोत, सुशिक्षा-सोपान, जीवनी-धारा, जातियता-ज्योति, विविध विषय आदि विषयो में कवितायें विभक्त की गई हैं। अन्त में 'बालविलास' नाम के विभाग में बाल-सम्बन्धी कविताओं का बड़ा सुन्दर संग्रह किया गया है। प्रकाशक महाशय ने उपाध्यायजी की सुन्दर कविताओं का संग्रह प्रकाशित कर वास्तव में प्रशंसनीय कार्य किया है, जिसके लिए हम उन्हें बधाई देते है। पृष्ठ-संख्या लगभग ३००, कागज मोटा, छपाई सुन्दर, जिल्द पक्की, मूल्य १॥)

२-दागे 'जिगर'

लेखक-साहित्य-भूषण श्रीरामनाथलाल 'सुमन'

कानपुर का प्रतापी साप्ताहिक 'प्रताप' लिखता है-'जिगर' महाशय उर्दू के एक प्रसिद्ध कवि हैं। कविता वह है, जिसमें कवि का हृदय प्रतिबिम्बित हो, और जिसे पढ़ते ही पाठक के दिल में एक खास तरह की गुदगुदी हो उठे। 'जिगर' प्रकृत कवि हैं। उनके कलाम लाजवाब हैं। 'जिगर' अपनी रचनाओं में बहुत ऊँचे उठे हैं और कही-कहीं तो वे 'बेखुदी' के सुखद सरोवर में इतना ऊँचे उठे हैं कि सरोवर के किनारे खड़े रहने वाले को दिखाई भी नहीं पड़ते। 'जिगर' की भावपूर्ण रचनाओं पर 'सुमनजी' की टिप्पणियाँ बहुत सुन्दर हैं। उनसे उर्दू का स्वल्प ज्ञान रखने वालों को भी 'जिगर' की रचनायें समझने में बड़ी मदद मिलेगी। 'सुमनजी' स्वयं कवि हैं। दर्द-भरे दिल की बात समझकर एक वैसा ही हृदय उस पर वास्तविक प्रकाश डाल सकता है। हमें आशा है कि यह पुस्तक हिन्दी के काव्य-साहित्य मे यथेष्ट आदर पावेगी।

छपाई-सफाई दर्शनीय। पक्की जिल्द। मू॰ १₹