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अंक २, दृश्य ८
जय-घोष करूँगा। लोहू के प्यासे भेड़ियो, तुम जब बर्बर थे, तब क्या इससे बुरे थे? तुम पहले इससे भी क्या विशेष असभ्य थे? आज शासन-सभा का आयोजन करके सभ्य कहलानेवाले पशुओ, कल का तुम्हारा धुँधला अतीत इससे उज्ज्वल था।
कामना-यह बूढ़ा तो मुझे भी पागल कर देगा।
विनोद-हटाओ इसको।
(दो सैनिक उसे निकालते हैं)
विलास-तो लालसा कब बतावेगी उस भूमि को।
लालसा-मै साथ चलूँगी।
विलास-फिर उस देश पर आक्रमण की आयोजना होनी चाहिये।
कामना-सब सैनिक प्रस्तुत जायँ।
सब-जब आज्ञा हो।
विनोद-हमारा प्रीति का वन-भोज करके।
(सैनिक घूमते हैं)
कामना-अच्छी बात है।
(सब स्त्री-पुरुष एकत्र बैठते हैं। मद्य-मांस का भोज। उन्मत्त होकर सबका विकट नृत्य)
विनोद-मेरा एक प्रस्ताव है।
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