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[कायाकल्प
 

रानी ने प्रेम-सजल नेत्रों से ताकते हुए कहा—अभी गुलाब से सींचती हूँ, फिर अपने प्राण-जल से सींचूँगी, पर उसका फल खाना मेरे भाग्य में है या नहीं, कौन जाने। उस वस्तु की आशा कैसे करूँ, जिसे मैं जानती हूँ कि मेरे लिए दुर्लभ है।

देवप्रिया ने यह कहते-कहते एक लम्बी साँस ली और आकाश की ओर देखने लगी। उसके मन में एक शंका हो उठी, क्या यह दुर्लभ वस्तु मुझे मिल सकती है? मेरा यह मुँह कहाँ?

राजकुमार ने करुण-स्वर में कहा—जिस वस्तु को आप दुर्लभ समझ रही हैं, वह आज से बहुत पहले आपको भेंट हो चुकी है। आप मुझे नहीं जानतीं, पर मैं आपको जानता हूँ—बहुत दिनों से जानता हूँ। अब आपके मुँह से केवल यह सुनना चाहता हूँ कि आपने मेरी भेंट स्वीकार कर ली?

रानी—उस रत्न को ग्रहण करने की मुझमें सामर्थ्य नहीं है। आपकी दया के योग्य हूँ, प्रेम के योग्य नहीं।

राजकुमार—कोई ऐसा धब्बा नहीं है, जो प्रेम के जल से छूट न जाय।

रानी—समय के चिह्न को कौन मिटा सकता है? हाय! आपने मेरा असली रूप नहीं देखा। यह मोहिनी छवि, जो आप देख रहे हैं, बहुत दिन हुए, मेरा साथ छोड़ चुकी। अब मैं अपने यौवनकाल की चित्र-मात्र हूँ। आप मेरी असली सूरत देखेंगे, तो कदाचित् घृणा से मुँह फेर लेंगे।

यह कहते कहते रानी को अपनी देह शिथिल होती हुई जान पड़ी। 'सुधाबिंदु' का असर मिटने लगा। उनका चेहरा पीला पड़ गया, झुर्रियाँ दिखायी देने लगीं। उन्होंने लज्जा से मुँह छिपा लिया और यह सोचकर कि शीघ्र ही यह प्रेमाभिनय समाप्त हो जायगा, वह फूट फूटकर रोने लगीं। राजकुमार ने धीरे से उनका हाथ पकड़ लिया और प्रेम-मधुर स्वर में बोले—प्रिये, मैं तुम्हारे इसी रूप पर मुग्ध हूँ, उस बने हुए रूप पर नहीं। मैं वह वस्तु चाहता हूँ, जो इस परदे के पीछे छिपी हुई है। वह बहुत दिनों से मेरी थी, हाँ, इधर कुछ दिनों से उस पर मेरा अधिकार न था। मेरी तरफ ध्यान से देखो, मुझे पहचानती हो? कभी देखा है?

रानी ने हैरत में आफर राजकुमार के मुँह पर नजर डाली। ऐसा मालूम हुआ, मानो आँखों के सामने से परदा हट गया। याद आया, मैंने इन्हें कहीं देखा है। जरूर देखा है। वह सोचने लगी, मैंने इन्हें कहाँ देखा है। याद न आया। बोली—मैंने आपको कहीं पहले देखा है।

राजकुमार—खूब याद है कि आपने मुझे देखा है? भ्रम तो नहीं हो रहा है?

रानी—नहीं, मैंने आपको अवश्य देखा है। सम्भव है, कभी रेलगाड़ी में देखा हो, मगर मुझे ऐसा मालूम होता है कि आप और मैं कभी बहुत दिनों एक ही जगह रहे हैं। मुझे तो याद नहीं आता। आप ही बताइए।

राजकुमार—खूब याद कर लिया?