पृष्ठ:कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स.djvu/४९

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इस परिस्थिति के विरुद्ध संघर्ष, वर्तमान अन्याय और चालू बुराई के विरुद्ध संघर्ष भी अनंत विकास के सर्वव्यापी नियम में दृढमूल है। यदि सब बातें विकसित होती हैं, यदि संस्थाएं दूसरी संस्थाओं को स्थान देती हैं, तो क्या कारण है कि प्रशियन राजा या रूसी ज़ार की निरंकुशता, विशाल बहुमत को हानि पहुंचाकर नगण्य अल्पमत की समृद्धि या जनता पर पूंजीवादी वर्ग का प्रभुत्व सदैव बना रहे ? हेगेल के दर्शन ने मन और विचारों के विकास की बात की ; वह आदर्शवादी दर्शन था। मन के विकास से उसने प्रकृति , मनुष्य और मानवीय , सामाजिक संबंधों के विकास का तर्क-निर्णय निकाला। हेगेल का विकास की अनंत प्रक्रिया★ विषयक विचार बनाये रखते हुए मार्क्स और एंगेल्स ने पूर्वचिंतित आदर्शवादी दृष्टिकोण अस्वीकार किया ; जीवन के तथ्यों की ओर मुड़ते हुए उन्होंने अवलोकन किया कि मन का विकास प्रकृति के विकास का स्पष्टीकरण नहीं देता बल्कि इसके विपरीत मन का स्पष्टीकरण प्रकृति से , पदार्थ से प्राप्त होना चाहिए ... हेगेल और अन्य हेगेलवादियों के विपरीत मार्क्स और एंगेल्स पदार्थवादी थे। संसार और मनुष्य-जाति की ओर पदार्थवादी दृष्टिकोण से देखते हुए उन्होंने अनुभव किया कि जिस प्रकार प्रकृति के सभी व्यापारों के मूल में भौतिक कारण रहते हैं उसी प्रकार मनुष्य समाज का विकास भी भौतिक , उत्पादक शक्तियों के विकास द्वारा निर्धारित होता है। मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ज़रूरी वस्तुओं के उत्पादन में मनुष्य मनुष्य के बीच जो परस्पर संबंध स्थापित होते हैं वे उत्पादक शक्तियों के विकास पर ही निर्भर करते हैं। और इन संबंधों में ही सामाजिक जीवन के सभी व्यापारों, मानवीय आकांक्षाओं, विचारों और नियमों का स्पष्टीकरण निहित होता है। उत्पादक शक्तियों का विकास निजी संपत्ति पर आधारित सामाजिक संबंधों को जन्म देता है, पर अब हम जानते हैं कि उत्पादक शक्तियों का यह विकास ही


★मार्क्स और एंगेल्स ने समय समय पर स्पष्ट किया है कि अपने बौद्धिक विकास में वे महान् जर्मन दार्शनिकों और विशेषकर हेगेल के ऋणी "जर्मन दर्शन के बिना ," एंगेल्स कहते हैं , “वैज्ञानिक समाजवाद का जन्म ही न होता।"²⁸

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