‘सोसिअल-देमोकात’-१८९० से १८९२ तक विदेशों (लंदन - जेनेवा) में 'श्रम मुक्ति' दल द्वारा प्रकाशित साहित्यिक और राजनीतिक समीक्षा पत्रिका। रूस में मार्क्सवादी विचार फैलाने में इसका बड़ा हाथ रहा। पत्रिका के कुल मिलाकर चार अंक निकले। सोसिअल-देमोक्रात के कार्य में ग० व० प्लेखानोव, प० ब० अक्सेलरोद और व० इ० जासुलिच ने सक्रिय भाग लिया।-पृष्ठ ५५
³³यहां लेनिन का संकेत फे० एंगेल्स के 'मकानों का सवाल' शीर्षक लेख
की ओर है। - पृष्ठ ५५
³⁴यहां फे० एंगेल्स के 'रूस में सामाजिक संबंध' शीर्षक लेख और इस लेख
के उपसंहार की ओर संकेत है। ये जेनेवा में १८६४ में प्रकाशित 'रूस
के संबंध में फ्रेडरिक एंगेल्स के विचार' शीर्षक पुस्तक के हिस्से रहे।-
पृष्ठ ५५
³⁵‘‘पूंजी’ का चतुर्थ खंड’ - १८६२-६३ में मार्क्स द्वारा लिखित 'अतिरिक्त
मूल्य के सिद्धांत' को एंगेल्स के दृष्टिकोण के अनुसार लेनिन द्वारा दिया
गया नाम । 'पूंजी' के द्वितीय खंड की प्रस्तावना में एंगेल्स ने लिखा थाः
"द्वितीय और तृतीय पुस्तकों में विचारित कितने ही अंशों को हटाने के
बाद मैं इस पांडुलिपि (अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत' - सं०) का
आलोचनात्मक भाग 'पूंजी' के चतुर्थ खंड के रूप में प्रकाशित करना
चाहता हूं।" पर एंगेल्स की मृत्यु हुई और वह प्रकाशन के लिए चतुर्थ
खंड तैयार न कर पाये। यह खंड पहली बार १६०५, १९१० में जर्मन
भाषा में प्रकाशित हुआ। प्रकाशन से पहले कार्ल काउत्स्की ने इसका
संपादन किया था। इस संस्करण में वैज्ञानिक प्रकाशन से संबंधित मूलभूत
सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया था और मार्क्सवाद के कई सिद्धांत ग़लत
ढंग से प्रस्तुत किये गये थे।
सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति का मार्क्सवाद- लेनिनवाद संस्थान १८६२-६३ की पांडुलिपि के अनुसार 'अतिरिक्त मूल्य
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